हिरासत में मौत के मामले में हिमाचल के पूर्व आईजी जैदी की आजीवन कारावास की सजा निलंबित
हिरासत में मौत के मामले में हिमाचल के पूर्व आईजी जैदी की आजीवन कारावास की सजा निलंबित
चंडीगढ़, 24 दिसंबर (भाषा) पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक जहूर हैदर जैदी की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया है। जैदी को 2017 में हिमाचल प्रदेश की एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोपी की हिरासत में मौत के मामले में सजा सुनाई गई थी।
चंडीगढ़ में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने जैदी और सात अन्य पुलिसकर्मियों को सूरज की हिरासत में मौत के मामले में जनवरी में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सूरज का शव 18 जुलाई 2017 को हिमाचल प्रदेश के कोटखाई पुलिस थाने में मिला था।
मामले के अनुसार, चार जुलाई 2017 को कोटखाई में 16 वर्षीय लड़की लापता हो गई थी और उसका शव छह जुलाई को हलाइला के जंगलों में मिला था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बलात्कार और हत्या की पुष्टि हुई थी।
राज्य में व्यापक जन आक्रोश के बीच, जैदी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया। एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए छह लोगों में सूरज भी शामिल था।
न्यायमूर्ति अनूप चितकारा और न्यायमूर्ति सुखविंदर कौर ने मंगलवार को जैदी की रिहाई के निर्देश जारी किए और उनसे 25,000 रुपये का जमानती मुचलका जमा करने को कहा।
उच्च न्यायालय ने उन्हें राहत देते हुए अधिकारी द्वारा भुगती गई लंबी अवधि को ध्यान में रखा।
पूर्व पुलिस महानिरीक्षक ने अपनी याचिका में अपनी सजा को निलंबित करने की मांग करते हुए दावा किया कि जिस वक्त आरोपी की हिरासत में मौत हुई थी वह पुलिस थाने में मौजूद नहीं थे।
उन्होंने कहा कि वे अपने दिवंगत पिता के अंतिम संस्कार के लिए पूर्व-स्वीकृत अवकाश पर थे।
अदालत के आदेश में कहा गया, ‘‘ ऐसा प्रतीत होता है कि एम्स द्वारा किए गए पोस्टमॉर्टम में सामने आई चोटें अथवा लाठी, लोहे की छड़ आदि जैसे हथियारों का इस्तेमाल और तलवों पर लगी चोटें पुलिस द्वारा हिरासत में आरोपियों को प्रताड़ित करने के सामान्य क्रूर और बर्बर तरीकों की ओर इशारा करती हैं। लेकिन निश्चित रूप से आरोपी (जैदी) उस समय पुलिस थाने में मौजूद नहीं थे और उन्हें ऐसी चोटों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, जो उनकी उपस्थिति में नहीं लगी थीं। इसके अलावा आरोपी के पास सूरज की हत्या करने का कोई मकसद नहीं था।’’
सूरज की 2017 में हिरासत में मौत के बाद, तत्कालीन हिमाचल प्रदेश सरकार ने दोनों मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। केंद्रीय एजेंसी ने हिरासत में हुई मौत के सिलसिले में जैदी और अन्य पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया था।
भाषा शोभना दिलीप
दिलीप

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