लिव इन रिलेशनशिप: कोर्ट ने कहा- जीवन का बन गया है हिस्सा, ये व्यक्तिगत फैसला

Live in relationship : इसे व्यक्तिगत फैसले के रूप में देखने की जरूरत है न कि सामाजिक नैतिकता के पैमाने पर

लिव इन रिलेशनशिप: कोर्ट ने कहा- जीवन का बन गया है हिस्सा, ये व्यक्तिगत फैसला
Modified Date: November 29, 2022 / 07:58 pm IST
Published Date: October 29, 2021 12:29 pm IST

प्रयागराज। बिना शादी के लिव‌ इन रिलेशनशिप में रह रहे दो जोड़े की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की है। मामले में टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि लिव इन रिलेशन जीवन जीने का नजरिया और हिस्सा बन गया है। इसे व्यक्तिगत फैसले के रूप में देखने की जरूरत है न कि सामाजिक नैतिकता के पैमाने पर।

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जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि संविधान में मिले जीवन के अधिकार व वैयक्तिक स्वतंत्रता की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे रिश्तों को मान्यता भी दी है।

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गौरतलब है कि कुशीनगर की शायरा खातून और मेरठ की ज़ीनत परवीन ने अपने प्रेमी के साथ दाखिल याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है। याचिकाओं में याचियों का कहना था कि उन्होंने पुलिस से संपर्क किया था लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। जीवन की स्वतंत्रता के खतरे के बावजूद उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली है।

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