प्रचार थमा…खेला अभी बाकी है! प्रचार के युद्ध में किसको बढ़त मिली और आखिरी वक्त में कौन बदलेगा पासा?
प्रचार थमा...खेला अभी बाकी है! Who got the edge in the war of propaganda and who will turn the dice at the last minute?
भोपाल: मध्यप्रदेश की 4 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार थम चुका है। अब मतदान में कुछ घंटे ही बाकी है, लेकिन वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी-कांग्रेस हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। वॉर रूम बनाकर जीत की रणनीति बनाई जा रही है। एक दूसरे को वॉक ओवर दिए बिना आखिरी वक्त तक दोनों दल बूथ मैनेजमेंट के लिए खास प्लान बना कर काम कर रहे हैं।
प्रदेश की 4 सीटों पर 30 अक्टूबर को वोटिंग होनी है, जिसमें अब कुछ घंटे ही बाकी है। लेकिन कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल एक दूसरे को वॉक ओवर देने के मूड में नहीं है। बीजपी की तरफ से सरकार और संगठन दोनों नें मोर्चा संभाल लिया है, वॉर रूम में मंथन शुरू हो गया है। आखिरी के घंटों के लिए बीजेपी ने खास रणनीति तैयार की है।
घर घर दीया जलाएं, आओ मिलकर कमल खिलाएं कार्यक्रम के तहत वोट की बीजेपी के स्थानीय नेता अपील करेंगे। वर्चुअल माध्यम से वोटरों से बीजेपी नेता कनेक्ट करेंगे, जिनसे चुनाव के स्थानीय पदाधिकारियों से रुबरु होंगे। चुनाव वाले क्षेत्रों में बीजेपी के 11 वकीलों की लीगल सेल वोटिंग के दिन तक रहेगी, गड़बड़ियों की तुरंत शिकायत करेगी। इसके अलावा बीजेपी के वॉर रूम से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन मंत्री सुहास भगत, महामंत्री हितानंद शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद पल पल की अपडेट लेंगे। हर बूथ पर 20 युवाओं की तैनाती की गई है जो वोटर्स को घर से बूथ तक लाने के लिये प्रेरित करेगी।
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बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस की तैयारियां भी जोरों पर है। पहले तमाम समीकरण समझने के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे, बगावत भी हुई। लेकिन वक्त रहते पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने हालात संभाल लिए कांग्रेस को उम्मीद है कि आम आदमी बढ़ती महंगाई से बेहद नाराज़ है, जिसका फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस प्रत्याशी को मिलेगा। वहीं वोटिंग के कुछ घंटे पहले आखिरी दिनों की रणनीति की बात करें तो एक बूथ पर 10 यूथ की जिम्मेदारी कांग्रेस ने सौंपी है। महिला कांग्रेस भी आधी आबादी को कांग्रेस के पक्ष में वोट करने के लिए प्रेरित कर रही है। स्थानीय नेताओं से प्रदेश कांगेस अध्यक्ष कमलनाथ वर्चुअली संपर्क में हैं। इसके अलावा फर्जी वोटिंग पर कांग्रेस नेताओं की नज़र रखने खास रणनीति तैयार की है। रिटर्निंग ऑफिसर से शिकायत करने के लिए टीम तैयार है।
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वैसे उपचुनाव में हार जीत से न तो बीजेपी सरकार की सेहत पर कोई फर्क पड़ेगा न ही विधानसभा के भीतर कांग्रेस के प्रदर्शन पर। बावजूद इसे 2023 के चुनावों के पहले का सेमीफाइनल मैच बना दिया है। अब सवाल है प्रचार के युद्ध में किसको बढ़त मिली और आखिरी वक्त में कौन बदलेगा पासा?

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