नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) लोकसभा ने बुधवार को केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया, जिसमें तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होने के बाद समान कर बोझ रखने के लिए उत्पाद शुल्क लगाने का प्रावधान है।
उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 में संशोधन वाले विधेयक को चर्चा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
वित्त मंत्री ने कहा कि तंबाकू और इसके उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने से जीएसटी क्षतिपूर्ति कर समाप्त करने के बाद भी कर का बोझ समान रहेगा।
उन्होंने कहा कि चूंकि जीएसटी कानून में अधिकतम कर दर 40 प्रतिशत तय है, इसलिए यदि जीएसटी उपकर हटा दिया जाता है और उत्पाद शुल्क नहीं लगाया जाता है तो तंबाकू पर कुल कर बोझ वर्तमान स्तर से कम हो जाएगा।
उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि कर बोझ (इंसिडेंस) जीएसटी मुआवजा उपकर के दौरान जितना था, उससे कम न हो, हम यह कर लेकर आ रहे हैं। एक तरह से हम कह रहे हैं कि कर बोझ कम होने से सिगरेट सस्ती नहीं होनी चाहिए।’’
विधेयक में प्रस्ताव है कि तंबाकू उत्पादों — जैसे सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, सिगार, हुक्का, ज़र्दा और सुगंधित तंबाकू — पर लगाए जा रहे जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को हटाकर उसकी जगह उत्पाद शुल्क लगाया जाए। वर्तमान में तंबाकू पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ अलग-अलग दरों पर उपकर लगता है।
विधेयक में अपरिष्कृत (कच्चे) तंबाकू पर 60–70 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव है।
सीतारमण ने कहा कि यह विधेयक इसलिए आवश्यक है क्योंकि कोविड के दौरान राज्यों के राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए केंद्र द्वारा लिया गया ऋण “कुछ ही हफ्तों” में चुका दिया जाएगा, जिसके बाद मुआवजा उपकर लेना रोक दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “शायद अगले कुछ ही हफ्तों में यह पूरा कर्ज चुकता हो जाएगा। इसलिए केंद्र सुनिश्चित करना चाहता है कि उत्पाद शुल्क फिर से हमारे पास आ जाए ताकि हम यह ड्यूटी लगा सकें।”
एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू करते समय राज्यों को जीएसटी के चलते हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए एक मुआवजा उपकर तंत्र स्थापित किया गया था, जिसकी अवधि प्रारंभ में 5 वर्ष (30 जून 2022 तक) निर्धारित थी।
बाद में मुआवजा उपकर की वसूली की अवधि 4 वर्ष बढ़ाकर 31 मार्च 2026 कर दी गई, और इस अवधि में संग्रहित राशि का उपयोग कोविड काल में राज्यों की जीएसटी कमी की भरपाई के लिए केंद्र द्वारा लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपये के ऋण के पुनर्भुगतान में किया जा रहा है।
उन्होंने विधेयक पर कुछ विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि यह नया कानून नहीं है, और कोई अतिरिक्त कर भी नहीं है।
सीतारमण ने कहा कि कुछ सदस्यों का मानना है कि यह उपकर है जिसका लाभ केंद्र को मिलेगा, जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह उपकर नहीं है, बल्कि उत्पाद शुल्क है जो डिविसिबल (विभाज्य) पूल में जाएगा।
उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में सिगरेट पर खुदरा मूल्य के अनुसार कर बोझ कुल 53 प्रतिशत रहा है, जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक 75 है।
वित्त मंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे कुछ देशों में तो यह दर 80 से 85 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि अब सिगरेट किफायती रहे।’’
तंबाकू उत्पादक किसानों को लेकर कुछ सदस्यों की चिंताओं पर वित्त मंत्री ने कहा कि फसल विविधीकरण योजना के तहत 10 बड़े तंबाकू उत्पादक राज्यों में 2015 से तंबाकू किसानों को वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उन्होंने तेलंगाना में मिर्च, ओडिशा में सब्जी और कर्नाटक में सोयाबीन तथा गन्ना जैसी फसलों के लिए तंबाकू किसानों को सहायता देने संबंधी सरकार के प्रयासों का जिक्र किया।
उन्होंने राज्यों को 51 प्रतिशत राशि देने की द्रमुक सांसद कलानिधि वीरास्वामी की मांग पर कहा कि इस बारे में निर्णय वित्त आयोग करता है।
राज्यों को सहायता देने के बारे में केंद्र सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि कोविड महामारी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों के लिए कोष बनाया जिसमें से उन्हें 50 वर्ष के लिए ब्याज रहित कर्ज देने की व्यवस्था की गई।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘यह सरकार राज्यों के बारे में सोचती है। प्रधानमंत्री स्वयं एक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और राज्यों की दिक्कतों को समझते हैं।’’
उन्होंने इस विधेयक के पारित होने के बाद बीड़ी मजदूरों के रोजगार को लेकर विपक्ष के कुछ सांसदों की आशंकाओं पर कहा कि बीड़ी में कर बोझ पर कोई बदलाव नहीं किया गया है।
सीतारमण ने कहा, ‘‘बीड़ी श्रमिकों के रोजगार पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उसकी दर वैसे ही है। एक पैसे की बढ़ोतरी नहीं की गई है।’’
भाषा वैभव अविनाश
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