ममता ने बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर चिंता जताई, विविधता में एकता पर जोर दिया

ममता ने बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर चिंता जताई, विविधता में एकता पर जोर दिया

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  • Publish Date - September 20, 2025 / 09:04 PM IST,
    Updated On - September 20, 2025 / 09:04 PM IST

कोलकाता, 20 सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विविधता में एकता के संदेश को रेखांकित करते हुए शनिवार को देश के कुछ राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासी मजदूरों के कथित उत्पीड़न की खबरों पर चिंता व्यक्त की।

ममता बनर्जी ने लेक टाउन इलाके में श्रीभूमि दुर्गा पूजा का उद्घाटन करते हुए भारत में सभी भाषाओं और संस्कृतियों के लिए परस्पर सम्मान के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, “बंगाल में विभिन्न समुदाय मिलकर त्योहार मनाते हैं। दुर्गा पूजा के अवसर पर सभी एकजुट होते हैं, जो बंगाल की अनूठी भावना का प्रतीक है। कोई अपनी मां को मां कहता है, तो कोई ‘अम्मा’। लेकिन प्रेम, सम्मान और बंधन एक ही रहता है। जैसा कि रामकृष्ण परमहंस ने कहा था, एक ही लक्ष्य तक पहुंचने के अलग-अलग रास्ते हैं।”

मुख्यमंत्री ने विभिन्न राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासियों पर कथित अत्याचारों की खबरों पर कहा, “मैं अपनी मातृभाषा का सम्मान करती हूं। दूसरों को भी बांग्ला का सम्मान करना चाहिए। बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि बंगाल के 22 लाख लोग राज्य के बाहर काम करते हैं, जबकि 1.5 करोड़ प्रवासी राज्य में रहते हैं और काम करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें बांटने की सभी साजिशों के खिलाफ एकजुट रहना चाहिए। वरना देश टूट जाएगा।”

उन्होंने कहा, “हमें याद रखना होगा कि बंगाल भारत का एक हिस्सा है और हमें बंगाल, बंगाली संस्कृति, गीतों और रचनात्मक कार्यों का सम्मान करना चाहिए।”

ममता बनर्जी ने खराब मौसम का जिक्र करते हुए कहा, “हमें सतर्क रहना होगा। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “अगर झारखंड में बारिश होती है, तो बिहार और हमारा राज्य प्रभावित होता है। इसी तरह, अगर पड़ोसी राज्यों में भारी बारिश होती है तो अक्सर जलाशयों के भर जाने के कारण यहां बाढ़ आ जाती है। बंगाल की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए हमें ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आइए, बारिश रहित दुर्गा पूजा की कामना करें क्योंकि लाखों लोग इस उत्सव का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।”

भाषा जितेंद्र पवनेश

पवनेश