मणिपुर मुठभेड़: न्यायालय ने एसआईटी से अधिकारी को मुक्त करने की अनुमति दी | Manipur encounter: Court allows officer to be freed from SIT

मणिपुर मुठभेड़: न्यायालय ने एसआईटी से अधिकारी को मुक्त करने की अनुमति दी

मणिपुर मुठभेड़: न्यायालय ने एसआईटी से अधिकारी को मुक्त करने की अनुमति दी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : March 17, 2021/8:20 am IST

नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच कर रही एसआईटी से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महेश भारद्वाज को मुक्त करने की बुधवार को अनुमति दे दी।

भारद्वाज को उनके मूल एजीएमयू काडर में डीआईजी के तौर पर पदोन्नत किया गया है।

न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी को मुक्त करने का अनुरोध किया गया था। पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह आयोग को एक उपयुक्त अधिकारी शीघ्र मुहैया कराए।

पीठ ने कहा कि अधिकारी को मुक्त करने संबंधी याचिका के अलावा उसके समक्ष कोई अन्य वादकालीन अर्जी नहीं है।

उसने कहा कि पिछली बार सुनवाई के दौरान न्यायमित्र एवं वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी को इस मामले पर कुछ कहना था।

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि न्यायमित्र की यह निर्णय लेने में कोई भूमिका नहीं है कि सीबीआई को क्या करना चाहिए और न्यायमित्र केवल कानून के संबंध मदद कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि न्यायालय को इस प्रकार के मामलों में न्यायमित्र की भूमिका तय करनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि क्या न्यायमित्र सीबीआई से किसी व्यक्ति से स्थानांतरण और किसी अन्य अधिकारी को जांच सौंपने के बारे में कह सकती हैं।

मेहता ने कहा कि ये चीजें हर मामले में हो रही हैं और न्यायमित्र केवल कानून के सवाल पर सहायता कर सकती हैं, इससे अधिक कुछ नहीं।

पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘आप एक वरिष्ठ अधिकारी और सॉलिसिटर जनरल हैं। हम जानते हैं कि न्यायमित्र का क्या काम है। चलिए, इस पर बात नहीं करते हैं। हमें बताइए कि आप अधिकारी की जगह किसे तैनात करेंगे।’’

मेहता ने कहा कि वह एक सूची जमा कराएंगे, जिसमें से न्यायमित्र चयन कर सकती हैं।

एनएचआरसी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील वासव पाटिल ने कहा कि यह अधिकारी एसआईटी के साथ थे और अब उन्हें उनके मूल काडर में डीआईजी के तौर पर पदोन्नति दे दी गई है तथा न्यायालय को इस पदोन्नति को प्रभावी बनाने की अनुमति देनी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने 10 मार्च को कहा था कि वह अधिकारी को मुक्त करने की एनएचआरसी की यााचिका पर सुनवाई करेगी।

गुरुस्वामी ने पीठ से कहा था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भी अपने अधिकारियों को एसआईटी से मुक्त करने के लिये दो आवेदन दायर कर रखे हैं लेकिन इनमें से कोई भी आवेदन उन्हें नहीं मिला है।

उन्होंने मानवाधिकार आयोग और सीबीआई की तरफ से दायर आवेदनों पर जवाब देने के लिए समय मांगा था।

मणिपुर में कथित तौर पर 1,528 न्यायेत्तर हत्याओं की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ ने 14 जुलाई 2017 को एसआईटी का गठन किया था और इनमें से कई मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने एवं जांच करने के आदेश दिए थे।

भारद्वाज सहित एनएचआरसी के दो अधिकारियों को जुलाई 2018 में एसआईटी में शामिल किया गया था।

भाषा सिम्मी शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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