गुवाहाटी, 16 मई (भाषा) मणिपुर के कई कुकी विधायकों ने कई नागरिक संस्थाओं और कुकी उग्रवादी समूहों के प्रतिनिधियों के साथ शुक्रवार को यहां बंद कमरे में एक बैठक की और जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में क्रमिक रूप से शांति बहाल करने के साथ अपनी भविष्य की रणनीति पर चर्चा की। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
कुकी समुदाय के एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि समुदाय के सदस्य बुधवार और बृहस्पतिवार को असम की राजधानी पहुंचे और एक अज्ञात होटल में ठहरे हैं, जहां बैठक हुई।
उन्होंने बताया, ‘‘बैठक एक बंद कमरे में हुई, इसलिए यह जान पाना मुश्किल है कि उन्होंने वास्तव में क्या चर्चा की। हालांकि, उनमें से एक ने बताया था कि वे मुख्य रूप से एक विषय पर विचार-विमर्श करेंगे, संविधान के तत्वावधान में मणिपुर में कुकी-जो लोगों के लिए अलग प्रशासन, ताकि हम भेदभाव और अधीनता से मुक्त जीवन जी सकें।’’
माना जा रहा है कि उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि मणिपुर में अलग प्रशासन की मांग के समर्थन में केंद्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष कैसे रखा जाए।
एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य में शांति धीरे-धीरे लौट रही है। अगला कदम मणिपुर में स्थायी शांति स्थापित करना है। इसलिए, सभी हितधारकों ने अब भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा शुरू कर दी है।’’
असम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बैठक की पुष्टि की, लेकिन कहा कि यह यहां प्रशासन को सूचित किए बिना हो रही है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें कल शाम बैठक के बारे में पता चला, लेकिन उन्होंने हमें सूचित नहीं किया। हमारी जानकारी के अनुसार, लगभग 15 लोग अपने आंतरिक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।’’
केंद्र ने तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पद से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।
मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।
मणिपुर की आबादी में मेइती की हिस्सेदारी करीब 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी– नगा और कुकी– 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
भाषा सुभाष सुरेश
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