(त्रिदीप लाहकर)
गुवाहाटी, 27 अगस्त (भाषा) मणिपुर में तीन महीनों से जारी हिंसा के कारण तंग अस्थायी राहत शिविरों में रहने वाले लोगों ने सरकार से इस अशांति का समाधान निकालने की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने घरों को वापस लौट सकें।
उनमें से कुछ लोग अस्थायी आवासों में भी नहीं जाना चाहते हैं जो उन्हें सरकार ने उपलब्ध कराये हैं। उनका कहना है कि यदि वे पूर्वनिर्मित आवासीय इकाइयों में चले जायेंगे तो वे फिर कभी अपने घरों में नहीं लौट पायेंगे।
इंफाल पूर्वी जिले के अकरमपेट में आइडियल गर्ल्स कॉलेज में स्थापित अस्थायी थोंडजू केंद्र राहत शिविर में रह रहे कुछ लोगों ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्हें ‘‘उनके घरों का पुनर्निर्माण करा दिये जाने के सरकार के आश्वासन पर भरोसा नहीं है।’’
भारत-म्यामां की सीमा से सटे मोरेह शहर के रहने वाले सांताम्बी ने कहा, ‘‘ राहत शिविरों में रहते हुए तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है। हम यहां कब तक रहेंगे। हम अपना घर वापस चाहते हैं। हमारे लोगों की हत्या कर दी गयी, अब हमें इंसाफ की जरूरत है।’’
चूराचंद्रपुर की न्गाथोइबी (24) और उसके परिवार भी अपने घर में लौटना चाहते हैं क्योंकि वे ‘अमानवीय स्थिति’ में राहत शिविर में नहीं रहना चाहते हैं।
उन्होंने फोन पर पीटीआई -भाषा से कहा, ‘‘ मेरा छह सदस्यों का परिवार है, उनमें पति, सात महीने का बच्चा, ससुर, सास और ननद है। ये सभी लोग यहां राहत शिविर में है। तीन मई को हमारा घर जला दिया गया था और हम वहां से भागते समय कुछ साथ ले भी नहीं पाये थे, इस संघर्ष में हमारा सबकुछ बर्बाद गया है।’’
भाषा राजकुमार रंजन
रंजन
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