सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पीएम मोदी का नामांकन रद्द करने की मांग को लेकर लगाई गई याचिका, जानिए

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पीएम मोदी का नामांकन रद्द करने की मांग को लेकर लगाई गई याचिका, जानिए

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  • Publish Date - November 24, 2020 / 08:55 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:34 PM IST

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ पर्चा दाखिल करने वाले सीमा सुरक्षा बल के बर्खास्त जवान तेज बहादुर का नामांकन रद्द करने का निर्वाचन अधिकारी का निर्णय मंगलवार को बरकरार रखा । शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील खारिज कर दी।

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प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासु्रमणियन की पीठ ने तेज बहादुर का नामांकन पत्र खारिज करने को सही ठहराने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने वाली अपील खारिज की। इस पीठ ने तेज बहादुर की अपील पर 18 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी । वाराणसी संसदीय सीट के लिये तेज बहादुर ने पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पर्चा दाखिल किया था लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा था। निर्वाचन अधिकारी ने एक मई, 2019 को तेज बहादुर का नामांकन पत्र खारिज कर दिया था।

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तेज बहादुर को 2017 में सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त कर दिया गया था । उसने एक वीडियो में आरोप लगाया था कि सशस्त्र बल के जवानों को घटिया किस्म का भोजन दिया जाता है। निर्वाचन अधिकारी ने बहादुर का नामांकन पत्र रद्द करते समय कहा था कि उसके नामांकन पत्र के साथ निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रारूप में यह प्रमाण पत्र संलग्न नहीं है कि उसे भ्रष्टाचार या शासन के साथ विश्वासघात करने के कारण सशस्त्र बल से बर्खास्त तो नहीं किया गया है।

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तेज बहाददुर ने नामांकन पत्र रद्द करने के निर्वाचन अधिकारी के फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायलाय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका खारिज करते हुये निर्वाचन अधिकारी का फैसला बरकरार रखा था। इसके बाद, सीमा सुरक्षा बल के इस बर्खासत जवान ने शीर्ष अदालत में अपल दायर की थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान 18 नवंबर को तेज बहादुर के वकील ने उच्च न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुये शीर्ष अदालत में दावा किया था कि उसका नामांकन ‘दूसरी वजहों’ से खारिज किया गया था। उसका दावा था कि निर्वाचन अधिकारी ने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 और 33(3) के प्रावधानों की मंशा के विपरीत जाकर उसका नामाकन पत्र रद्द किया था।

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न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान तेज बहादुर के वकील से कहा था, ‘‘आपको यह प्रमाण पत्र संलग्न करना था कि आपको (बहादुर) सेवा से बर्खास्त नहीं किया गया है। आपने ऐसा नहीं किया। आप हमें बतायें कि जब आपका नामांकन पत्र रद्द हुआ था क्या आप एक पार्टी के पत्याशी थे।’’

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