एमसीडी मामला: न्यायालय ने पूछा कि उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद् की सलाह के बिना कैसे कार्य कर सकते हैं

एमसीडी मामला: न्यायालय ने पूछा कि उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद् की सलाह के बिना कैसे कार्य कर सकते हैं

एमसीडी मामला: न्यायालय ने पूछा कि उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद् की सलाह के बिना कैसे कार्य कर सकते हैं
Modified Date: April 10, 2023 / 08:57 pm IST
Published Date: April 10, 2023 8:57 pm IST

नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मौखिक रूप से कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली नगर निगम में 10 सदस्यों को मनोनीत करने में मंत्रिपरिषद् की “सहायता और सलाह के बिना” कैसे कार्य कर सकते हैं।

शीर्ष अदालत ने पूर्व में दिल्ली सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया था। इसने 10 सदस्यों का मनोनयन रद्द करने की मांग वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन के आग्रह पर उपराज्यपाल कार्यालय को 10 दिन का समय दिया।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, “उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद् की सहायता और सलाह के बिना निर्णय कैसे ले सकते हैं? यह सहायता और सलाह पर किया जाता है …।’’

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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने शुरुआत में कहा कि जीएनसीटीडी अधिनियम (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार अधिनियम) की धारा 44 में संशोधन शीर्ष अदालत की एक संविधान पीठ के 2018 के फैसले के बाद किया गया था।

कानून अधिकारी ने कहा, ‘संशोधन के मद्देनजर, एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसे एक अलग याचिका में चुनौती दी गई है।’ उन्होंने कहा कि हलफनामे के जरिए जवाब दाखिल किया जाएगा।

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के अभिवेदन का विरोध किया।

पीठ ने कहा कि वह याचिका को सूचीबद्ध करेगी।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने याचिका पर उपराज्यपाल के कार्यालय से जवाब मांगा था।

भाषा नेत्रपाल दिलीप

दिलीप


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