राज्यसभा में सदस्यों ने आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय में वृद्धि करने की मांग की
राज्यसभा में सदस्यों ने आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय में वृद्धि करने की मांग की
नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने आंगनबाड़ी कर्मियों की स्थिति को बहुत खराब बताते हुए उनके मानदेय में वृद्धि करने तथा उन्हें पर्याप्त सुविधाएं दिए जाने की मांग की।
सदस्यों ने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलती जबकि उनके ऊपर कई जिम्मेदारियां डाल दी गयी हैं।
कई सदस्यों ने सरकारी स्कूलों में आधारभूत सुविधाएं बढ़ाए जाने की भी मांग की।
सदस्य, मनोनीत सदस्य सुधा मूर्ति के एक निजी संकल्प पर हुई चर्चा में भाग ले रहे थे। मूर्ति के निजी संकल्प में प्रस्ताव किया गया है कि तीन से छह वर्ष के सभी बच्चों के लिए पोषण, स्वास्थ्य सेवाओं, प्री-प्राइमरी शिक्षा सहित निशुल्क एवं अनिवार्य प्रारंभिक बाल्यावस्था एवं प्रारंभिक शिक्षा की गारंटी देने के लिए संविधान में एक नवीन अनुच्छेद अंत:स्थापित करने पर विचार किया जाए।
समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान ने संकल्प का समर्थन करते हुए कहा कि उनके राज्य उत्तर प्रदेश में आंगनबाड़ी कर्मियों की हालत दयनीय है।
उन्होंने कहा कि उनके प्रदेश में आंगनबाड़ी कर्मियों को केंद्र की ओर से 4.5 हजार रुपये और राज्य सरकार की ओर से मात्र डेढ़ हजार रुपये मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश में न्यूनतम मजदूरी की सीमा से भी कम है जबकि उनसे काफी अधिक काम लिया जाता है
खान ने कहा कि छोटे बच्चों यानी तीन से छह साल तक के बच्चों की देखभाल का जिम्मा आमतौर पर हमारे तंत्र ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी केंद्रों को दे रखा है। लेकिन जब तक आंगनबाड़ी व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं किया जाएगा, लक्ष्य को पाना मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यापार बनता जा रही है और इसका उद्देश्य मुनाफा कमाना हो गया है तथा बच्चों की देखभाल के लिए जगह-जगह ‘प्ले स्कूल’ बनने लगे हैं।
चर्चा में भाग लेते हुए माकपा सदस्य जॉन ब्रिटास ने भी आंगनबाड़ी व्यवस्था को मजबूत बनाए जाने की मांग की और कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पर्याप्त मानदेय मिलना चाहिए।
ब्रिटास ने कहा कि देश भर में बड़ी संख्या में सरकारी स्कूल बंद हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बंद हुए करीब 73 प्रतिशत स्कूल भाजपा शासित राज्यों में हैं।
उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में सरकारी स्कूलों की संख्या में आठ प्रतिशत की कमी आयी है जबकि निजी स्कूलों की संख्या में 14.9 प्रतिशत वृद्धि हुई।
राकांपा-एसपी की फौजिया खान ने भी इस निजी संकल्प का समर्थन किया और बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया।
कांग्रेस की जेबी माथेर हीशम ने भी आंगनबाड़ी कर्मियों का वेतन बढ़ाए जाने और बच्चियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिए जाने की मांग की।
बीजद के सस्मित पात्रा, द्रमुक सदस्य आर गिरिराजन, आप के राजेंद्र गुप्ता, माकपा के वी शिवदासन, भाकपा के संदोष कुमार पी, भाजपा के मयंक कुमार नायक सहित अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया। चर्चा अधूरी रही।
भाषा अविनाश नरेश
नरेश

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