MNREGA Wages Latest News : मनरेगा श्रमिकों के लिए खुशखबरी, इतने रुपए तक बढ़ सकती है मजदूरी, संसदीय समिति ने की सरकार से सिफारिश

MNREGA Wages Latest News: Modi Government can Increase MNREGA Wages

MNREGA Wages Latest News : मनरेगा श्रमिकों के लिए खुशखबरी, इतने रुपए तक बढ़ सकती है मजदूरी, संसदीय समिति ने की सरकार से सिफारिश

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Modified Date: April 14, 2025 / 12:00 am IST
Published Date: April 13, 2025 9:59 pm IST
HIGHLIGHTS
  • मनरेगा में काम के दिनों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 150 दिन करने की सिफारिश।
  • श्रमिकों के लिए 400 रुपये प्रति दिन न्यूनतम मजदूरी की सिफारिश।
  • स्वतंत्र सर्वेक्षण के माध्यम से मनरेगा की योजना की प्रभावशीलता का आकलन करने की सिफारिश।

नई दिल्ली: MNREGA Wages Latest News संसद की एक स्थायी समिति ने मनरेगा के तहत प्रदान किये जाने वाले काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 दिन करने समेत श्रमिकों के दैनिक पारिश्रमिक को कम से कम 400 रुपये निर्धारित करने की सिफारिश की है। समिति ने सुझाव दिया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) से जुड़ी योजना की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए एक स्वतंत्र सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। समिति ने उभरती चुनौतियों के मद्देनजर योजना को नया रूप देने पर भी जोर दिया है।

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MNREGA Wages Latest News हाल ही में संपन्न बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के दौरान संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसद की स्थायी समिति ने योजना के तहत मिलने वाले काम के दिनों की संख्या मौजूदा 100 से बढ़ाकर 150 करने की सिफारिश की है। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि श्रमिकों की मजदूरी को कम से कम 400 रुपये प्रति दिन तक बढ़ाया जाना चाहिए। समिति ने प्रमुख ग्रामीण रोजगार योजना के लिए आवंटित राशि में ठहराव पर चिंता व्यक्त करते हुए सामाजिक लेखापरीक्षा पर भी जोर दिया है ताकि योजना के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके। कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, ‘‘समिति का मानना ​​​​है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण आयोजित किया जाना चाहिए।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण में श्रमिकों की संतुष्टि, वेतन में देरी, भागीदारी के रुझान और योजना के भीतर वित्तीय अनियमितताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने मनरेगा से जुड़े कार्यक्रम की कमियों के बारे में मूल्यवान जानकारी प्राप्त करने और मनरेगा की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए आवश्यक नीतिगत सुधारों को लागू करने के लिए देश भर में स्वतंत्र और पारदर्शी सर्वेक्षण की सिफारिश की है।’’

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समिति ने योजना में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि वर्तमान में 100 दिनों का रोजगार प्रदान करने का प्रावधान है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों से दिनों की संख्या बढ़ाने की मांग की जा रही है। समिति ने कहा, ‘‘बदलते समय और उभरती चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए योजना में सुधार की आवश्यकता है। समिति मंत्रालय से उन विकल्पों पर विचार करने का आग्रह करती है, जिससे मनरेगा के तहत गारंटीकृत कार्य दिवसों की संख्या मौजूदा 100 दिनों से बढ़ाकर कम से कम 150 दिन की जा सके।’’ समिति ने यह भी सिफारिश की कि जलवायु शमन और आपदा राहत के लिए, सूखा राहत प्रावधान के तहत 150 दिनों की वर्तमान कार्य सीमा को बढ़ाकर 200 दिन किया जाना चाहिए। इसने कहा कि वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों के लिए मनरेगा के तहत 150 दिनों की मजदूरी प्रदान करने के निर्देश जारी किए गए हैं, वहीं कमजोर समुदायों के लोगों के लिए आय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत 150 दिन का काम देने की सीमा को बढ़ाकर 200 दिन किया जाना चाहिए।

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मुद्रास्फीति के साथ मजदूरी के तालमेल में विफलता पर चिंता व्यक्त करते हुए समिति ने कहा कि मनरेगा के तहत आधार मजदूरी दरों को संशोधित किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे वर्तमान आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप हों और ग्रामीण श्रमिकों को ‘सम्मानजनक पारिश्रमिक’ प्रदान करें। उन्होंने कहा, ‘‘पारिश्रमिक के रूप में कम से कम 400 रुपये प्रतिदिन प्रदान किए जाने चाहिए, क्योंकि वर्तमान दरें बुनियादी दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए भी अपर्याप्त हैं।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि मजदूरी भुगतान में लगातार देरी हो रही है और देरी से मिलने वाले वेतन के लिए मुआवजे की दर में वृद्धि की सिफारिश की गई है। समिति ने पाया कि पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिए सामाजिक लेखापरीक्षा को बढ़ाया जाना चाहिए और ग्रामीण विकास मंत्रालय से सामाजिक लेखापरीक्षा ‘कैलेंडर’ तय करने का आग्रह किया। ‘जॉब कार्ड’ समाप्त किये जाने की उच्च संख्या को देखते हुए समिति ने कहा कि 2021-22 में लगभग 50.31 लाख जॉब कार्ड मामूली वर्तनी संबंधी त्रुटियों या आधार विवरण से विसंगति के कारण समाप्त कर दिये गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति दृढ़ता से अनुशंसा करती है कि ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मैन्युअल सत्यापन और सुधार की अनुमति देने के लिए एक प्रणाली शुरू की जानी चाहिए ताकि श्रमिकों को कार्यक्रम से अन्यायपूर्ण तरीके से बाहर न किया जा सके।’’


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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।