मोदी ने आत्मनिर्भर पहलों का समर्थन करने के लिए सशस्त्र बलों की प्रशंसा की

मोदी ने आत्मनिर्भर पहलों का समर्थन करने के लिए सशस्त्र बलों की प्रशंसा की

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  • Publish Date - August 15, 2022 / 04:38 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:11 PM IST

नयी दिल्ली, 15 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में आत्मनिर्भर भारत के उनके दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के निर्यात का उल्लेख किया।

मोदी ने समारोह के दौरान तिरंगे को 21 तोपों की सलामी के लिए पहली बार स्वदेश में विकसित तोप के इस्तेमाल का भी जिक्र किया।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ (भारत में निर्मित) पहल के तहत ‘एडवांस्ड टो आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) विकसित किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘किस हिंदुस्तानी को इस आवाज (स्वदेशी तोप की) से नयी प्रेरणा और ताकत नहीं मिलेगी।’’

रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘मैं अपने देश के सैनिकों को अपने दिल से बधाई देना चाहता हूं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक विनिर्माण केंद्र बनता जा रहा है जिससे आत्मनिर्भरता का आधार बन रहा है।

मोदी ने कहा, ‘‘चाहे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का विनिर्माण हो या मोबाइल फोन का विनिर्माण, आज देश बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। जब हमारा ब्रह्मोस दुनिया में जाएगा तो किस भारतीय का मस्तक गर्व से ऊंचा नहीं होगा।’’

गत जनवरी में, फिलीपीन ने ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की तीन बैटरी की खरीद के लिए भारत के साथ 37.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का सौदा किया था। कई अन्य देशों ने भी ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद में रुचि दिखाई है।

संबंधित घटनाक्रम में भारत ने गत मार्च में फिलीपीन के साथ एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए जो रक्षा साजोसामान की आपूर्ति के लिए सरकार से सरकार के बीच सौदे का प्रावधान करता है।

सरकार ने घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई उपाय शुरू किए हैं।

रक्षा स्वदेशीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने अगस्त 2020 में ‘टो आर्टिलरी गन’, क्रूज मिसाइल और अपतटीय गश्ती जहाजों सहित 101 वस्तुओं की पहली ‘‘सकारात्मक स्वदेशीकरण’’ सूची जारी की थी जिन्हें आयात प्रतिबंध के तहत रखा गया था।

पिछले साल मई में, सरकार ने साढ़े चार साल की समयावधि के तहत अतिरिक्त 108 सैन्य हथियारों के अलावा अग्रिम चेतावनी प्रणाली, टैंक इंजन और रडार आदि के आयात पर प्रतिबंध को मंजूरी दी थी।

अप्रैल में, 100 से अधिक सैन्य प्रणालियों और हथियारों की तीसरी सूची को साढ़े तीन साल से अधिक की समय सीमा के तहत आयात प्रतिबंधों के तहत रखा गया था।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि तीसरी सूची में शामिल वस्तुओं के हिस्से के रूप में अगले पांच वर्षों में भारतीय उद्योग को 2,10,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर मिलने की संभावना है।

भारत विश्व स्तर पर हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक रहा है। अनुमान के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा अगले पांच वर्षों में पूंजीगत खरीद में लगभग 130 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करने का अनुमान है।

भाषा अमित अविनाश

अविनाश