जयपुर, नौ अक्टूबर (भाषा) राजस्थान सरकार ने अपने अधिकारियों से कहा है कि वे सांसद और विधायकों का समुचित सम्मान करें और अगर ऐसा कोई जनप्रतिनिधि उनसे मिलने आए तो वे उनके सम्मान में खड़े हों।
मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने इस बारे में सभी विभागों को एक विस्तृत परिपत्र जारी किया है और सांसदों और विधायकों को लिखे जाने वाले पत्रों के बारे में उनकी जिम्मेदारियां तय की हैं।
इसके तहत अधिकारियों को सांसदों और विधायकों द्वारा उठाये गये मुद्दों के निपटारे के लिये 30 दिनों में अंतिम जवाब देना होगा और उनके द्वारा फोन पर दिये गये संदेशों को भी गंभीरता से लेना होगा।
स्वरूप ने अपने आदेश में कहा कि जब कोई सांसद या विधायक जनहित के कार्यों के बारे में किसी भी विभाग से पत्राचार करता है तो विभाग द्वारा उन्हें उनके पत्रों की पावती व उत्तर अवश्य भेजा जाए और यदि उनके द्वारा उठाये गये मामले लम्बित हों तो मामले की प्रगति से उन्हें समय-समय पर अवश्य अवगत कराया जाए।
परिपत्र के अनुसार जब कभी सांसद/विधायकों द्वारा जनहित कार्यों के लिये सम्पर्क किया जाये तो उनके साथ विनम्रता व सम्मानजनक व्यवहार किया जाये। परिपत्र के अनुसार, “अधिकारी को सही व शालीन होना चाहिए। जब कभी कोई सांसद/विधायक मिलने आये तो उसे उनके स्वागत व विदाई के समय सम्मान में खड़ा होना चाहिए तथा उनके द्वारा बताई समस्या/सुझाव पर विशेष ध्यान देते हुए शीघ्र यथोचित कार्रवाई की जानी चाहिए।”
मुख्य सचिव ने परिपत्र में दिये गये दिशा निर्देशो की पालना कठोरता से किये जाने के लिये निर्देशित किया है।
इसके अनुसार सांसदों/विधायकों के पत्रों के निस्तारण को विशिष्ट प्राथमिकता प्रदान की जाये तथा उनके निस्तारण/कार्रवाई के लिये प्रत्येक विभाग/अनुभाग/प्रकोष्ठ में अलग से पत्रावली शीर्ष (हैड) निर्धारित की जाये। इसमें कहा गया है कि राजस्थान सरकार की पहली प्राथमिकता सुशासन देने की है।
भाषा कुंज पृथ्वी
प्रशांत
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