Nari Shakti Vandan Adhiniyam: कल नए संसद में गरजेंगी सोनिया गांधी.. महिला आरक्षण विधेयक की बहस पर संभालेंगी कांग्रेस की कमान

Nari Shakti Vandan Adhiniyam: कल नए संसद में गरजेंगी सोनिया गांधी, महिला आरक्षण विधेयक की बहस पर संभालेंगी कांग्रेस की कमान

Nari Shakti Vandan Adhiniyam: कल नए संसद में गरजेंगी सोनिया गांधी.. महिला आरक्षण विधेयक की बहस पर संभालेंगी कांग्रेस की कमान

Nari Shakti Vandan Adhiniyam

Modified Date: September 19, 2023 / 08:55 pm IST
Published Date: September 19, 2023 8:53 pm IST

नई दिल्ली: लम्बे वक़्त के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी देश के नए संसद में गरजेंगी। दरअसल सोनिया गांधी महिला आरक्षण बिल पर होने वाली बहस में कांग्रेस की तरफ से बतौर मुख्य वक्ता हिस्सा लेंगी। सोनिया गांधी काफी समय बाद किसी मुद्दे पर सरकार के खिलाफ संसद में बहस करेंगी। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से इसकी पुष्टि की है।

गौरतलब है कि संसद का विशेष सत्र जारी है। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार ने आज दो बड़े कदम उठायें है। (Neri Shakti Vandan Adhiniyam) पहला यह कि आज से सभी सदन ने नए पार्लियामेंट भवन में प्रवेश किया तो वही दूसरा कि सरकार ने संसद के पटल पर बहुप्रतीक्षित ‘महिला आरक्षण बिल’ भी पेश किया। उम्मीद है की इसी सत्र में यह बिल पास हो जाएगा। चुनावी साल में विपक्ष इस बिल को लेकर किसी तरह का नकारात्मक रुख अख्तियार करेगा इसकी गुंजाइश भी कम है। ऐसे में पीएम मोदी संसद के स्पेशल सेशन में विपक्ष को भी साधने में सफल रहेंगे।

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उमा भारती ने किया विरोध

इस पूरे बिल को लेकर अब सरकार को भाजपा के भीतर ही चुनौती मिलनी शुरू हो गई है। एमपी की पूर्व सीएम और सांसद उमा भारती ने इस बिल का पुरज़ोर तरीके से विरोध किया है। उन्होंने इस बाबत दो पन्नो का खत प्रधानमंत्री को प्रेषित किया है। उमा भारती ने कहा है कि जब तक इस बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए प्रावधान नहीं होगा वह विरोध करती रहेंगी। 1996 में देवेगौड़ा सर्कार ने जब यह बिल पटल पर रखा था तब भी उन्होंने इसका विरोध किया था। उमा भारती ने मांग किया है कि इस विधेयक में एससी, एसटी के साथ ओबीसी की स्थिति स्पष्ट की जाएँ।

क्या है महिला आरक्षण बिल

महिला आरक्षण बिल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है। उस समय एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था। लेकिन पारित नहीं हो सका था। यह बिल 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था।

बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का प्रस्ताव था। इस 33 फीसदी आरक्षण के भीतर ही अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए उप-आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था। इस बिल में प्रस्ताव है कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के ज़रिए आवंटित की जा सकती हैं।

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