एनसीईआरटी ने नयी पाठ्यपुस्तकों के बारे में प्राप्त ‘फीडबैक’ की पड़ताल के लिए समिति गठित की

एनसीईआरटी ने नयी पाठ्यपुस्तकों के बारे में प्राप्त ‘फीडबैक’ की पड़ताल के लिए समिति गठित की

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  • Publish Date - August 7, 2025 / 05:48 PM IST,
    Updated On - August 7, 2025 / 05:48 PM IST

नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) एनसीईआरटी ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप अपनी पाठ्यपुस्तकों के बारे में प्राप्त ‘फीडबैक’ की पड़ताल के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।

हालांकि, अधिकारियों ने यह स्पष्ट नहीं किया कि समिति विशेष रूप से किस पाठ्यपुस्तक की पड़ताल करेगी।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुवर्ती चरण के रूप में, एनसीईआरटी ने आधारभूत स्तर के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) तैयार की है।

उन्होंने कहा, ‘‘एनसीएफ में दिए गए पाठ्यचर्या लक्ष्यों और दक्षताओं के अनुरूप, एनसीईआरटी ने पाठ्यपुस्तकों सहित शिक्षण-अधिगम सामग्री तैयार की है। पाठ्यपुस्तकों सहित इन पाठ्यचर्या संसाधनों को विभिन्न हितधारकों से नियमित रूप से प्रतिक्रिया और सुझाव प्राप्त होते हैं।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘वर्तमान में, एनसीईआरटी को कुछ पाठ्यपुस्तकों की शैक्षिक सामग्री के बारे में फीडबैक प्राप्त हुआ है। इसलिए, इसकी स्थापित परंपरा के अनुसार, वरिष्ठ विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जा रही है। यह समिति उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर फीडबैक की पड़ताल करेगी और यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।’’

एनसीईआरटी ने स्पष्ट किया कि परिषद में यह एक सुस्थापित प्रथा है कि जब भी किसी विशेष विषय की पाठ्यपुस्तक की विषयवस्तु या शिक्षण-शास्त्र के संबंध में पर्याप्त फीडबैक या सुझाव प्राप्त होते हैं, तो एक समिति गठित की जाती है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘इस समिति में प्रतिष्ठित संस्थानों के उच्चस्तरीय विशेषज्ञ और संबंधित विषय क्षेत्र के संकाय सदस्य शामिल होते हैं, जिसके संयोजक पाठ्यक्रम विभाग के प्रमुख होते हैं। समिति मामले पर सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श करती है, विषयवस्तु या शिक्षण-विधि के संबंध में साक्ष्य-आधारित निर्णय लेती है और तदनुसार यथाशीघ्र उचित कार्रवाई की सिफारिश करती है।’’

एनसीईआरटी की कक्षा आठ की नयी पाठ्यपुस्तक ‘समाज की खोज: भारत और उससे आगे’ हाल ही में चर्चा में रही। पुस्तक में मुगल सम्राटों के शासनकाल का वर्णन करते हुए कहा गया है कि अकबर का शासन ‘‘क्रूरता’’ और ‘‘सहिष्णुता’’ का मिश्रण था, बाबर एक ‘‘क्रूर विजेता’’ था, जबकि औरंगजेब एक ‘‘सैन्य शासक’’ था, जिसने गैर-मुसलमानों पर फिर से कर लगा दिया था।

यह पुस्तक एनसीईआरटी के नए पाठ्यक्रम में पहली पुस्तक है जो विद्यार्थियों को दिल्ली सल्तनत, मुगलों, मराठाओं और औपनिवेशिक युग से परिचित कराएगी।

भाषा

नेत्रपाल पवनेश

पवनेश