नयी दिल्ली,छह अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के दो वरिष्ठ अधिकारियों को दक्षिण दिल्ली के चितरंजन पार्क में पेड़ों की कटाई के मामले में जानबूझकर आज्ञा नहीं मानने और उसके निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया। साथ ही अदालत ने कहा कि पेड़ों की रक्षा करने की अनिवार्यता को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि पिछले चार-पांच वर्षों में शहर में वायु प्रदूषण का सबसे खराब दौर देखा है।
अदालत ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और लोक निर्माण विभाग पर 40,000 रुपये और एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। दरअसल निरीक्षण के दौरान यह पाया गया था कि एसडीएमसी की एक कार्रवाई में 13 पेड़ क्षतिग्रस्त हो गए थे और 10 पेड़ पीडब्ल्यूडी से क्षतिग्रस्त हुए थे।
न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने 61पन्नों वाले अपने आदेश में कहा,‘‘ अदालत को यह भी सूचित किया गया है कि एक एजेंसी ने कुछ सड़क खोदी थी और इससे पहले कि वह एजेंसी अपना काम सामान्यतौर पर पूरा कर पाती,दूसरी एजेंसी आ जाती है और उस सड़क पर फिर से खुदाई करती है। यह चक्र सालभर चलता रहा है, फिर चाहे इंटरनेट केबल बिछाने की बात हो,बिजली के तार डालने,पानी के पाइप डालने ,टेलीफोन लाइनें बिछानी हों आदि आदि। अदालत को जो तस्वीरें दिखाईं गयी हैं उनमें अदालत के निर्देशों का घोर उल्लंघन होता दिखाई दे रहा है। ’’
अदालत ने पीडब्ल्यूडी के दोनों अधिकारियों को अदालत की अवमानना के जुर्म में सजा सुनाने के लिए बृहस्पतिवार का दिन मुकर्रर किया है।
भाषा शोभना नरेश
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