राम मंदिर निर्माण के साथ सुशासन और जन कल्याण के नए युग का आरंभ: लोकसभा अध्यक्ष बिरला |

राम मंदिर निर्माण के साथ सुशासन और जन कल्याण के नए युग का आरंभ: लोकसभा अध्यक्ष बिरला

राम मंदिर निर्माण के साथ सुशासन और जन कल्याण के नए युग का आरंभ: लोकसभा अध्यक्ष बिरला

:   Modified Date:  February 10, 2024 / 04:42 PM IST, Published Date : February 10, 2024/4:42 pm IST

नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने में अतुलनीय भूमिका निभाई और सदियों की तपस्या के बाद राम मंदिर निर्माण के साथ सुशासन और जन कल्याण के नए युग का आरंभ हुआ है।

अध्यक्ष ने सदन में नियम 193 के तहत ‘श्रीराम मंदिर निर्माण और श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा समारोह’ विषय पर हुई चर्चा के समापन पर राम मंदिर के संबंध में प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली पर उनके भव्य, दिव्य मंदिर का निर्माण देश के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवशाली उपलब्धि है।

बिरला ने कहा, ‘‘अयोध्या में जन-जन की भावनाओं का प्रतीक बने प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर से जुड़े इस प्रस्ताव को पारित करते हुए हम सभी बहुत गौरवान्वित हैं। हमें विश्वास है कि ये ऐतिहासिक उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को आशा, एकता और सामूहिकता के मूल्यों का संदेश देगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी सांसद पूरी एकता, श्रद्धा और भक्तिभाव से इस अवसर पर देशवासियों के उल्लास और उमंग में शमिल हैं। साथ ही इस प्रस्ताव के जरिये हम सराहना करते हैं कि देश की विकास यात्रा में यह एक अविस्मरणीय चरण है जो भारत के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।’’

बिरला ने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति के कण-कण में श्रीराम, सीता और रामायण रचे बसे हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्य और सभी के लिए न्याय को समर्पित संविधान रामराज्य के आदर्शों से प्रेरित रहा है और रामराज्य का आदर्श पूज्य बापू के भी हृदय में बसा था।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा परम सौभाग्य है कि हम सभी अयोध्या के मनोहारी मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी बने हैं।’’

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि अयोध्या में मंदिर केवल पत्थरों का ढांचा नहीं बल्कि आस्था और भक्ति के अनंत भावों से परिपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘‘22 जनवरी 2024 पूरे भारत के लिए ऐसी ऐतिहासिक तिथि है जिसने देश के कोने-कोने को अद्भुत आनंद से भर दिया है। दुनिया की अनेक संस्कृतियों में राम मंदिर की चर्चा हो रही है। हर ओर आस्था का सागर उमड़ता दिखा। इससे युग युगांतर तक हमारी पीढ़ियां अभिभूत होती रहेंगी।’’

बिरला ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान राम से जुड़े इस अवसर पर पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने में अतुलनीय भूमिका निभाई। उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के लिए कठिन यम नियमों का पालन किया।’’

अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के विभिन्न हिस्सों में श्रीराम से जुड़े महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों पर गए और राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इस यात्रा ने एक बार फिर देशवासियों को विविधता में एकता की शक्ति का अनुभव कराया है।’’

बिरला ने कहा कि 22 जनवरी के समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत विस्तार से देश की इस आध्यात्मिक चेतना के जागृत होने की बात कही है और इस अवसर ने ये भी सिद्ध किया है कि एक राष्ट्र के रूप में हमारी चेतना निरंतर सशक्त हो रही है।

उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग ने पूरी एकता और सद्भावना का परिचय देते हुए श्रीराम का हृदय से स्वागत किया है।

बिरला ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रत्यक्ष प्रतीक है और इस अवसर ने यह भी दिखाया है कि समाज में समरसता बढ़ाने में हमारे सामूहिक प्रयासों का कितना बड़ा योगदान है।

बिरला ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में इस पल के साकार होने में हमारी न्यायपालिका और समाज के एक बड़े हिस्से की बड़ी भूमिका रही है।

उन्होंने कहा कि जनमानस का कानून और लोकतंत्र में विश्वास दिखाता है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की नींव कितनी सशक्त और गहरी है।

अध्यक्ष ने कहा कि जब उच्चतम न्यायालय का फैसला आया था तो प्रधानमंत्री के वक्तव्य ने समग्र देश में जय-पराजय की भावना की जगह शांति बनाए रखने की अद्भुत प्रेरणा समाज को दी।

बिरला ने कहा कि सदियों की तपस्या के बाद राम मंदिर के निर्माण के साथ सुशासन और जन कल्याण के नए युग का आरंभ हुआ है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि इस ऐतिहासिक अवसर ने आने वाली कई सदियों के लिए भारत में हमारी परंपराओं के पुनर्जागरण और विकसित भारत की नींव को सशक्त किया है।

बिरला ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा है कि ‘राम से राष्ट्र’ और ‘देव से देश’ तक हमारे लिए अपनी चेतना को विस्तार देना जरूरी है। निश्चित रूप से इससे वर्ष 2047 तक विकसित और समावेशी भारत बनाने के हम सभी के संकल्प को और बल मिलने पाला है। आज यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत देश श्रीराम के पदचिह्नों का अनुसरण कर रहा है।’’

उन्होंने कहा कि आज समाज का हर वर्ग देख रहा है कि उसके जीवन को बेहतर बनाने के लिए कैसे निरंतर एक के बाद एक प्रयास किये जा रहे हैं।

भाषा वैभव माधव

माधव

 

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