नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बृहस्पतिवार को तमिलनाडु और पुडुचेरी में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पांच फरार सदस्यों के कई ठिकानों पर छापेमारी की। पीएफआई के ये सदस्य 2019 में धर्मांतरण के प्रयास का विरोध करने पर पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के नेता रामलिंगम की कथित हत्या के मामले में वांछित हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि चेन्नई की एक विशेष अदालत ने पांच फरवरी, 2019 को हत्या के मामले में पीएफआई के सदस्यों मोहम्मद अली जिन्ना, अब्दुल मजीठ, भुरकानुदीन, शाहुल हमीद और नफील हसन को वांछित अपराधी घोषित किया था। ये पांचों आरोपी उन 18 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें एजेंसी ने दो अगस्त 2019 को दाखिल आरोपपत्र में नामजद किया है।
एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि एनआईए ने तमिलनाडु के तंजावुर, त्रिची, नागपट्टिनम, मयिलादुथुराई, तिरुवरुर जिलों में 15 स्थानों और पुडुचेरी के कराईकल में एक स्थान पर वांछित आरोपियों के साथ-साथ उनके करीबी सहयोगियों के परिसरों में तलाशी ली। उन्होंने बताया कि मामले से जुड़े कई डिजिटल उपकरण और दस्तावेज जब्त किए गए।
एनआईए के एक बयान में कहा गया है, ‘‘रामलिंगम की पांच फरवरी 2019 को तंजावुर के पाकु विनायकम थोप्पु में पीएफआई के सदस्यों और पदाधिकारियों ने हत्या कर दी थी। पीएफआई ने बदला लेने के लिए रामलिंगम की हत्या की साजिश रची थी, क्योंकि उन्होंने पाकु विनायकम थोप्पु में वंचित तबके के लोगों का जबरन धर्मांतरण कराए जाने के प्रयासों पर विरोध जताया था।’’
सरकार ने 28 सितंबर, 2022 को गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत पीएफआई को एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया था।
एनआईए ने पूर्व के बयान में कहा था कि तंजावुर जिले के थिरुविदिमारुदुर निवासी रामलिंगम (41) पर घातक हथियारों से हमला किया गया, जिससे उनके दोनों हाथों में गंभीर चोटें आईं और उनकी मौत हो गई।
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