बेंगलुरु से रोहिंग्या समुदाय के 72 लोगों को निर्वासित करने की तत्काल कोई योजना नहीं: कर्नाटक सरकार ने न्यायालय से कहा

बेंगलुरु से रोहिंग्या समुदाय के 72 लोगों को निर्वासित करने की तत्काल कोई योजना नहीं: कर्नाटक सरकार ने न्यायालय से कहा

बेंगलुरु से रोहिंग्या समुदाय के 72 लोगों को निर्वासित करने की तत्काल कोई योजना नहीं: कर्नाटक सरकार ने न्यायालय से कहा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:05 pm IST
Published Date: October 26, 2021 1:11 pm IST

नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि बेंगलुरु में रह रहे रोहिंग्या समुदाय के 72 लोगों को निर्वासित करने की तत्काल उसकी कोई योजना नहीं हैं।

राज्य सरकार ने रोहिंग्या समुदाय के लोगों की पहचान करके उन्हें निर्वासित करने के लिए दायर याचिका पर दिये अपने जवाब में यह जानकारी दी। राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।

राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘बेंगलुरु शहर पुलिस ने अपने अधिकार क्षेत्र में किसी शिविर या हिरासत केंद्र में किसी रोहिंग्या को नहीं रखा है। हालांकि बेंगलुरु शहर में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत रोहिंग्या समुदाय के 72 लोगों की पहचान की गई है और बेंगलुरु शहर पुलिस ने अभी तक उनके खिलाफ बलपूर्वक कोई कार्रवाई नहीं की है और उसकी उन्हें निर्वासित करने की तत्काल कोई योजना नहीं है।’’

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उपाध्याय ने याचिका दायर करके केंद्र और राज्य सरकार को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है कि वे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या समुदाय के लोगों समेत सभी अवैध प्रवासियों एवं घुसपैठियों की एक साल के भीतर पहचान करें, उन्हें हिरासत में लें और उन्हें निर्वासित करें।

याचिका में कहा गया है, ‘‘खासकर म्यांमा और बांग्लादेश से बड़ी संख्या में आए अवैध प्रवासियों ने न केवल सीमावर्ती जिलों की जनसांख्यिकीय संरचना के लिए खतरा पैदा किया है, बल्कि सुरक्षा एवं राष्ट्रीय अखंडता को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है।’’

उपाध्याय ने याचिका में आरोप लगाया है कि कई एजेंट के माध्यम से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और गुवाहाटी के रास्ते अवैध प्रवासी संगठित तरीके से घुस रहे हैं।

भाषा

सिम्मी अनूप

अनूप


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