निर्वाचन क्षेत्र से बाहर रहने वालों को डाक से मत देने की सुविधा संबंधी जनयाचिका पर केन्द्र को नोटिस

निर्वाचन क्षेत्र से बाहर रहने वालों को डाक से मत देने की सुविधा संबंधी जनयाचिका पर केन्द्र को नोटिस

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  • Publish Date - February 18, 2021 / 10:04 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:34 PM IST

नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों से बाहर रहने वालों को डाक मतपत्रों के जरिए मताधिकार देने के अनुरोध वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को केन्द्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कानून एवं न्याय मंत्रालय और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा, ‘‘यह कैसी याचिका है? इंग्लैंड में बैठकर आप यहां मतदान करेंगे? अगर आपको अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाने की इच्छा नहीं है तो कानून आपकी मदद क्यों करे?’’

शीर्ष अदालत ने यह भी जानना चाहा कि क्या संसद और सरकार को मतदान के लिए स्थान तय करने का अधिकार है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए कालीश्वरम राज ने न्यायालय को बताया कि डाक मतपत्र की प्रणाली पहले से है लेकिन यह सुविधा कुछ ही लोगों को मिली हुई है।

न्यायालय एस सत्यन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अर्जी में छात्रों, प्रवासी भारतीयों और अपने निर्वाचन क्षेत्र से बाहर रहने वालों के लिए डाक से मतदान करने की सुविधा प्रदान करने का आग्रह किया गया है।

जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि निर्वाचन क्षेत्र से बाहर रहने वालों को भी डाक मत या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वोट डालने की सुविधा दी जाए।

याचिका में कहा गया है, ‘‘देश के भीतर प्रवास करने वाले मजदूर, छात्र और व्यवसाय करने वाले लोग अपने निर्वाचन क्षेत्रों से बाहर रहते हैं, ऐसे ही प्रवासी भारतीय और विदेशों में जाकर काम करने वाले लोग भी अपने धंधे के कारण निर्वाचन क्षेत्र से बाहर रहते हैं, और इस कारण वे लंबे समय तक निर्वाचन प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पाते हैं।’’

याचिका में कहा गया है, ‘‘वे मताधिकार से वंचित हैं, और यह निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने की राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी का उल्लंघन है।’’

याचिका में कहा गया है कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 60 में डाकमत का प्रावधान है, लेकिन फिलहाल यह सीमित लोगों के लिए ही उपलब्ध है।

भाषा अर्पणा अविनाश

अविनाश