केजरीवाल की अंतरिम जमानत के मुद्दे पर ईडी ने हलफनामे के जरिये न्यायालय के समक्ष विरोध दर्ज कराया |

केजरीवाल की अंतरिम जमानत के मुद्दे पर ईडी ने हलफनामे के जरिये न्यायालय के समक्ष विरोध दर्ज कराया

केजरीवाल की अंतरिम जमानत के मुद्दे पर ईडी ने हलफनामे के जरिये न्यायालय के समक्ष विरोध दर्ज कराया

:   Modified Date:  May 9, 2024 / 05:35 PM IST, Published Date : May 9, 2024/5:35 pm IST

नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को हलफनामे के जरिये उच्चतम न्यायालय में विरोध दर्ज कराया और कहा कि चुनाव में प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक।

उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक नये हलफनामे में, ईडी ने कहा कि किसी भी नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव नहीं लड़ रहा हो।

ईडी ने कहा, ‘‘इस बात को ध्यान में रखना प्रासंगिक है कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक, यहां तक ​​कि यह कानूनी अधिकार भी नहीं है।’’

एजेंसी ने कहा कि उसकी जानकारी के अनुसार, ‘‘किसी भी नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले वह चुनाव नहीं लड़ रहा हो। यहां तक कि चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार भी यदि हिरासत में हो तो उसे अपने खुद के प्रचार के लिए भी अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है।’’

गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने बुधवार को कहा था, “हम शुक्रवार को अंतरिम आदेश (अंतरिम जमानत पर) सुनाएंगे। गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़े मुख्य मामले पर उस दिन सुनवाई भी होगी।’’

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं।

पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे। पीठ ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सात मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी थी।

उच्च न्यायालय ने नौ अप्रैल को केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि बार-बार समन जारी करने और केजरीवाल के जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ईडी के पास ‘बहुत ही मामूली विकल्प’ बचा था।

यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है। यह नीति अब समाप्त कर दी गयी है।

भाषा

देवेंद्र सुरेश

सुरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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