Operation Sindoor Shravan Singh: 10 साल के इस मासूम श्रवण ने भी निभाई ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की कामयाबी में भूमिका.. सेना ने दिया सरप्राइज गिफ्ट

स साल के बहादुर श्रवण कुमार का भी सपना है कि वह एक दिन भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करें।

Operation Sindoor Shravan Singh: 10 साल के इस मासूम श्रवण ने भी निभाई ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की कामयाबी में भूमिका.. सेना ने दिया सरप्राइज गिफ्ट

Operation Sindoor Shravan Singh || Image- Times Algebra File

Modified Date: May 29, 2025 / 02:11 pm IST
Published Date: May 29, 2025 2:11 pm IST
HIGHLIGHTS
  • दस वर्षीय श्रवण कुमार ने सैनिकों की मदद कर सम्मान पाया, सेना में जाने का सपना।
  • भारत-पाक युद्ध के दौरान की थी जवानों की मदद
  • इसी महीने भारत ने शुरू किया था ऑपरेशन सिन्दूर

Operation Sindoor Shravan Singh: नई दिल्ली: पिछले महीने के 22 अप्रैल को जम्मू के पहलगाम में सामने आये आतंकी के बाद भारत ने पीओके में स्थित आतंकियों के अड्डों को नष्ट कर दिया था। भारतीय सेना ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए पीओके के 9 ठिकानों पर मिसाइल दागे थे। वही जब पाक ने इन हमलो पर प्रतिक्रिया दी तो भारतीय सेना ने पड़ोसी देश के हवाई ठिकानों को टारगेट किया। फ़िलहाल दोनों देशों के बीच सीजफायर लागू है, लेकिन दूसरी तरफ पाक सेना और उनके आतंकी रह-रह कर मोर्चों पर फायरिंग कर रहे है और सीजफायर के शर्तों का उल्लंघन कर रहे है।

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बहरहाल, इस पूरे ऑपरेशन सिन्दूर का व्यापक रूप तब नजर आया जब सेकेण्ड फेज में भारत ने पाकिस्तान का जवाब दिया। भारत ने सीधे तौर पर पाकिस्तानी वायुसेना के हवाई ठिकानों को बनाया और उन्हें तबाह कर दिया।

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Operation Sindoor Shravan Singh: इस दौरान पाक के हमलों से आम लोगों को सुरक्षित रखने के लिए सीमावर्ती गाँवो में सेना की तैनाती की गई थी। सेना के जवान इन गाँवों में कई दिनों तक ठहरे रहे और आधुनिक हथियारों की मदद से पाकिस्तानी सेना के नापाक हमलों को नाकाम करते रहे।

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मासूम श्रवण सिंह की भूमिका

वही अब सेना ने सीमा से सटे एक गांव के दस साल के मासूम श्रवण कुमार को गिफ्ट, चॉकलेट और मिठाइयां देकर सम्मान किया है। बता दें कि श्रवण कुमार ने ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान सेना के जवानों की मदद की थी। गाँव में ठहरे जवानों को श्रवण कुमार ने चाय, पानी, दूध, बर्फ और दूसरे जरूरी सामान पहुँचाये थे। ऐसे में अब जब भारत-पाक के बीच जंग फिलहाल थम गया है तो सेना ने श्रवण कुमार को सम्मानित किया है। उसे उसका पसंदीदा सामन दिया है। दूसरी तरफ दस साल के बहादुर श्रवण कुमार का भी सपना है कि वह एक दिन भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करें।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown