विपक्ष ने राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का जवाब नहीं देने के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना की
विपक्ष ने राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का जवाब नहीं देने के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना की
नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) विपक्षी दलों ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर बुधवार को राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब नहीं देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना की।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री संसद में होने के बावजूद सदन में नहीं आए।
उन्होंने कहा, ‘हमने मोदीजी से कई सवाल पूछे हैं। उन्हें जवाब देना चाहिए। अगर प्रधानमंत्री संसद में मौजूद होने के बावजूद सदन में नहीं आते हैं, तो यह राज्यसभा और सदन के सदस्यों का अपमान है।’
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने इसे ‘काला दिन’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह दिन एक काले दिन के रूप में याद किया जाएगा। पहले दिन से ही विशेष सत्र बुलाने की मांग की जा रही थी। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।’’
तिवारी ने कहा कि यह सहमति थी कि प्रधानमंत्री सदन में जवाब देंगे, ‘लेकिन विश्वासघात हुआ। हमें मौखिक आश्वासन मिला था, यह सहमति बीएसी (कार्य मंत्रणा समिति) में बनी थी। यह लोकतंत्र का अपमान है।’’
तिवारी ने कहा, ‘शायद वह संघर्षविराम में (डोनाल्ड) ट्रंप की भूमिका पर सवालों का जवाब नहीं देना चाहते थे… उन्होंने लोकसभा में जवाब दिया, लेकिन आज (बुधवार) सदन में आने की उनकी हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने शायद सोचा होगा कि हम टैरिफ (आयात शुल्क) के बारे में सवाल पूछेंगे।’’
द्रमुक नेता तिरुचि शिवा ने राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह की कुछ टिप्पणियों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, ‘‘16 घंटे तक चर्चा चली। हमने कई सवाल उठाए… हम सभी ने ज़ोर दिया कि प्रधानमंत्री आकर जवाब दें। यह आम परंपरा से अलग नहीं है।’
शिवा ने कहा, ‘संसद सर्वोच्च है… प्रधानमंत्री राज्यसभा क्यों नहीं आ रहे हैं? राज्य सभा भी महत्वपूर्ण है।’
इससे पहले, राज्यसभा में कांग्रेस सहित विपक्ष के सदस्यों ने ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जवाब नहीं दिये जाने को सदन का अपमान बताया और इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन किया।
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर उच्च सदन में करीब 16 घंटे तक चली विशेष चर्चा का जवाब देने के लिए गृह मंत्री अमित शाह जब खड़े हुए तो विपक्षी सदस्यों ने इस बात को लेकर हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सदन में जवाब दिया तो वह उच्च सदन में जवाब देने के लिए क्यों नहीं आये?
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री यहां अपने कार्यालय में ही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे से जब निबट रहा है तो काहे को प्रधानमंत्री जी को बुला रहे हो। और तकलीफ होगी।’’
हंगामे के बीच नेता प्रतिपक्ष खरगे ने कहा कि 16 घंटे की चर्चा के बाद सभी सदस्यों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री चर्चा में उठाये गये सवालों का जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री संसद में रहकर यहां नहीं आते हैं तो यह सदन का अपमान है।
इस पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति में पहले ही बता दिया गया था कि चर्चा में प्रधानमंत्री हस्तक्षेप नहीं करेंगे और गृह मंत्री जवाब देंगे।
इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाक आउट किया।
भाषा अविनाश पवनेश
पवनेश

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