राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने नाभिकीय ऊर्जा विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की
राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने नाभिकीय ऊर्जा विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025 का विरोध करते हुए इसे व्यापक विचार-विमर्श के लिए प्रवर या स्थायी समिति में भेजने की मांग की। वहीं सत्ता पक्ष ने इसे विकसित भारत बनाने में मददगार बताते हुए कहा कि दुनिया स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बढ़ गयी है तथा बढ़ती ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है।
उच्च सदन में ‘भारत के रुपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025’ पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए विपक्षी सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए इसे मानवता के खिलाफ बताया।
बीआरएस सदस्य केआर सुरेश रेड्डी ने विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए सदन की प्रवर समिति में भेजने की मांग की और कहा कि देश तेजी से आगे बढ़ रहा है और यहां औद्योगिकीकरण बढ़ा है इसलिए बिजली की मांग में तेजी भी आएगी। ‘‘देश में बिजली की मांग में वृद्धि को देखते हुए यह एक अहम विधेयक है।’’
उन्होंने सुरक्षा को लेकर आशंका जतायी और कहा कि कुछ क्षेत्रों में परमाणु तत्वों से जल दूषित होने की शिकायतें भी मिली हैं।
माकपा सदस्य एए रहीम ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे मानवता के खिलाफ बताया। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग करते हुए कहा कि यह निजी कंपनियों के हितों को पूरा करने वाला है। उन्होंने संयंत्र के आपूर्तिकर्ताओं पर जवाबदेही तय किए जाने की मांग करते हुए कहा कि अदालतों की भूमिका को भी विधेयक में सीमित कर दिया गया है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोपाल यादव ने भी विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग करते हुए कहा कि परमाणु संयंत्रों से काफी खतरा होता है। उन्होंने आपूर्तिकर्ताओं की जवाबदेही तय करने की मांग की और कहा कि विभिन्न क्षेत्रों की तरह इस क्षेत्र में भी भविष्य में कुछ निजी कंपनियों का एकाधिकार हो जाएगा।
बसपा के रामजी ने विधेयक को स्थायी समिति में भेजने की मांग की और कहा कि भले ही परमाणु ऊर्जा आधुनिक है लेकिन यह बहुत खतरनाक है। उन्होंने चेरनोबिल और जापान के परमाणु संयंत्रों में हुई दुर्घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में भी कई हादसे हुए हैं जबकि ऐसे संयंत्रों पर सरकार का पूरा नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जरा भी गलती हो जाए तो व्यापक तबाही होगी।
भाजपा के जग्गेश ने विधेयक को भविष्य के लिए अहम बताया। उन्होंने कहा कि 2014 के पहले देश में बिजली की भारी कमी थी लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद स्थिति बदली और हर क्षेत्र में बिजली की पर्याप्त आपूर्ति हो रही है।
उन्होंने कहा कि देश में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए यह काफी अहम विधेयक है और इसमें संयंत्रों को सुरक्षित बनाने पर भी जोर दिया गया है।
शिवसेना (उबाठा) सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने भी विधेयक का विरोध करते हुए इस पर व्यापक विचार-विमर्श किए जाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने दावा किया कि देश में प्रभावी और स्वतंत्र नियामक ढांचा नहीं है ऐसे में निजी कंपनियों की जवाबदेही कौन तय करेगा। राकांपा (एसपी) सदस्य फौजिया खान ने भी विधेयक का विरोध करते हुए इसे स्थायी समिति में भेजने की मांग की।
भाजपा के परमार सालमसिंह ने विधेयक को दूर-दृष्टि वाला बताया और कहा कि यह पूरी तरह से देश के हित में है। मनोनीत हर्षवर्धन शृंगला ने कहा कि देश को 15 साल से इस विधेयक की प्रतीक्षा थी। उन्होंने कहा कि संयंत्र से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य सरकार के पास ही रहेंगे और यह विधेयक परमाणु क्षेत्र का निजीकरण करने के लिए नहीं बल्कि निजी क्षेत्र की सरकार के साथ भागीदारी के लिए है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में सभी परमाणु संयंत्र निजी क्षेत्र के हैं वहीं ब्रिटेन में सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी है।
भाषा अविनाश मनीषा
मनीषा

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