नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग को कोंटाई नगरपालिका चुनावों के सीसीटीवी फुटेज फोरेंसिक जांच के लिए केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) भेजने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारा लोकतंत्र आम नागरिकों के भरोसे पर टिका है।’’
उच्चतम न्यायालय ने कोंटाई नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष सौमेंदु अधिकारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी तथा उनसे उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका वापस लेने पर विचार करने को कहा। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा 26 अप्रैल को पारित आदेश पर रोक लगा दी तथा अधिकारी और अन्य को नोटिस जारी कर उनसे जवाब देने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘चुनाव के बाद किसी भी हस्तक्षेप से कानून की ज्ञात प्रक्रिया के अनुसार निपटा जाना चाहिए, अन्यथा यह पूरे राजनीतिक क्षेत्र में एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा। यह पूरे देश में होगा और वह भी एक जनहित याचिका पर। एक संवैधानिक अदालत के रूप में, हम केवल कोंटाई चुनावों को लेकर चिंतित नहीं हैं।’
पीठ ने कहा कि सीसीटीवी लगाने और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति जैसे उच्च न्यायालय द्वारा पारित पूर्व के आदेशों से शीर्ष अदालत को कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए था, लेकिन चुनाव के बाद की स्थितियों में, ऐसा चुनाव याचिकाओं पर होना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘हमारा लोकतंत्र आम नागरिक के भरोसे पर टिका है। पीठ ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दलील दी गई है कि चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो जाने और परिणाम घोषित कर दिए जाने के बाद उच्च न्यायालय ने 26 अप्रैल के अपने आदेश में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ‘अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन’ किया है
कोंटाई नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष अधिकारी ने 27 फरवरी को हुए चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर कब्जा, फर्जी मतदान और हिंसा जैसे कदाचार का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी और केंद्रीय बलों की तैनाती करके नगरपालिका में नए सिरे से चुनाव कराने के आदेश का अनुरोध किया था।
भाषा
अविनाश नरेश
नरेश
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