पहलगाम हमले ने भारत-पाक संबंधों को गहरे संकट में डाल दिया : पूर्व राजनयिक टीसीए राघवन

पहलगाम हमले ने भारत-पाक संबंधों को गहरे संकट में डाल दिया : पूर्व राजनयिक टीसीए राघवन

पहलगाम हमले ने भारत-पाक संबंधों को गहरे संकट में डाल दिया : पूर्व राजनयिक टीसीए राघवन
Modified Date: April 30, 2025 / 05:40 pm IST
Published Date: April 30, 2025 5:40 pm IST

(माणिक गुप्ता)

नैनीताल, 30 अप्रैल (भाषा) पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रह चुके टीसीए राघवन ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों की वर्तमान स्थिति को ‘संभावित रूप से बहुत खतरनाक’ बताते हुए कहा कि इस घटना ने दोनों देशों के बीच न्यूनतम स्थिरता के दौर से गुजर रहे द्विपक्षीय संबंधों को ‘गहरे संकट’ में डाल दिया है।

हाल ही में संपन्न नैनीताल साहित्य महोत्सव (एनएलएफ) से अलग ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए राघवन ने जोर देकर कहा कि वर्तमान स्थिति की ‘‘गंभीरता को कोई कम करके नहीं आंक सकता।’’

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पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त ने कहा ‘‘ये निर्दोष पर्यटक थे जिन्हें बेरहमी से मार दिया गया, उन्हें गोली मार दी गई। इसलिए इस अर्थ में, यह मुंबई आतंकवादी हमले की बहुत याद दिलाता है, जब और अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, या यह संसद हमले के बाद की स्थिति जैसा है। ’’

राघवन ने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस तरह के एक बड़े आतंकवादी हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को ‘न्यूनतम स्थिरता’ के दौर से गहरे संकट में डाल दिया है।

पूर्व राजनयिक छह जून, 2013 से 31 दिसंबर, 2015 को अपनी सेवानिवृत्ति तक पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त के रूप में कार्यरत थे।

आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पर्यटन केंद्र पहलगाम के पास ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहे जाने वाले बैसरन में गोलीबारी कर दी जिसमें 26 लोग मारे गए। इनमें से ज्यादातर पर्यटक थे।

यह 2019 में पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में सबसे भीषण हमला है। पुलवामा हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान मारे गए थे।

हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया है और कई उपायों की घोषणा की है, जिसमें पाकिस्तानी सैन्य अताशे को निष्कासित करना, 1960 के सिंधु जल संधि को निलंबित करना और अटारी स्थित सीमा चौकी पर सड़क मार्ग से आवाजाही को तत्काल प्रभाव से बंद करना शामिल है।

मौजूदा हालात में ‘अंतर्निहित खतरों’ पर प्रकाश डालते हुए राघवन ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के कूटनीतिक कदमों, विशेष रूप से सिंधु जल संधि को निलंबित करने को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

भारत में समाज के सभी वर्गों में व्याप्त व्यापक और गहरे आक्रोश को स्वीकार करते हुए राघवन ने कहा कि सरकार को तीन मोर्चों पर मौजूदा संकट का समाधान करना चाहिए जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्थिति, पाकिस्तान के संबंध में स्थिति और तीव्र घरेलू आक्रोश शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस बात को लेकर आक्रोश है कि इस हमले के अपराधियों को दंडित किया जाना चाहिए। इसलिए सरकार को इन सभी भावनाओं का समाधान करना होगा।’’

पूर्व राजनयिक (69 वर्ष) ने यह भी रेखांकित किया कि भारत इस वास्तविकता को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि वह एक ‘गंभीर रूप से अशांत क्षेत्र’ में स्थित है और मौजूदा तनावों के बावजूद वह अपने निकटतम पड़ोसी के साथ गतिरोध का जोखिम नहीं उठा सकता।

‘द पीपल नेक्स्ट डोर: द क्यूरियस हिस्ट्री ऑफ इंडिया-पाकिस्तान रिलेशंस’ के लेखक ने इस बात पर जोर दिया कि, ‘‘हमारे विरोधी पड़ोसी पाकिस्तान के साथ हमारे संबंधों में स्थिरता कुछ ऐसी चीज है जो हमारे समग्र राष्ट्रीय हित में है, जो भारत के दीर्घकालिक विकासात्मक उद्देश्यों और इसके आर्थिक लाभों की रक्षा करने की आवश्यकता से निकटता से जुड़ा है।’’

तीन दिवसीय नैनीताल साहित्य महोत्सव का समापन 27 अप्रैल को हुआ था।

भाषा संतोष मनीषा

मनीषा


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