कागज, कपड़े की तुलना में कांच, प्लास्टिक पर अधिक समय तक जीवित रहता है कोरोना वायरस: अध्ययन

कागज, कपड़े की तुलना में कांच, प्लास्टिक पर अधिक समय तक जीवित रहता है कोरोना वायरस: अध्ययन

कागज, कपड़े की तुलना में कांच, प्लास्टिक पर अधिक समय तक जीवित रहता है कोरोना वायरस: अध्ययन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:26 pm IST
Published Date: February 15, 2021 10:22 am IST

नयी दिल्ली, 15 फरवरी (भाषा) भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (आईआईटी) मुम्बई के अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अध्यययन के आधार पर कहा है कि कांच और प्लास्टिक वाली सतहों की तुलना में कागज और कपड़े पर कोरोना वायरस कम दिनों तक जीवित रह सकता है।

एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस से होने वाला कोविड-19 श्वसन बूंदों से फैलता है। वायरस वाली ये बूंदें किसी सतह पर गिरने के बाद संक्रमण के प्रसार के स्रोत का काम करती हैं।

‘फिजिक्स ऑफ फ्लूड्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने प्लास्टिक एवं कांच तथा कागज एवं कपड़ा जैसी सतहों पर इन बूंदों के सूखने का विश्लेषण किया।

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इसमें पाया गया कि ये बूंदे प्लास्टिक एवं कांच की तुलना में कागज एवं कपड़े पर अधिक जल्दी सूखती हैं।

अध्ययन के अनुसार वायरस कांच पर चार दिनों तक और प्लास्टिक एवं स्टेनलेस स्टील पर सात दिनों तक जीवित रह सकता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि हालांकि वायरस कागज पर महज तीन घंटे और कपड़े पर दो दिनों तक ही जिंदा रहता है।

इस अध्ययन के लेखक आईआईटी बंबई के संघमित्रो चटर्जी ने कहा, ‘‘अपने अध्ययन के आधार पर हम सिफारिश करते हैं कि अस्पतालों एवं कार्यालयों में कांच, स्टेनलेस स्टील या लैमिनेटेड लकड़ी से बने फर्नीचर को कपड़े आदि से ढक दिया जाए ताकि स्पर्श में आने पर संक्रमण का जोखिम कम हो। ’’

भाषा राजकुमार अमित

अमित


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