रक्षा संबंधी संसदीय समिति ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी, पैंगांग जाने की मंशा जताई : सूत्र, राहुल गांधी भी हैं इसके सदस्य | Parliamentary Committee on Defence intends to go to Galwan Valley, Pangang in Eastern Ladakh: Source

रक्षा संबंधी संसदीय समिति ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी, पैंगांग जाने की मंशा जताई : सूत्र, राहुल गांधी भी हैं इसके सदस्य

रक्षा संबंधी संसदीय समिति ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी, पैंगांग जाने की मंशा जताई : सूत्र, राहुल गांधी भी हैं इसके सदस्य

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:37 PM IST, Published Date : February 13, 2021/5:36 am IST

नई दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा) । रक्षा संबंधित संसद की स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी, पैंगांग जाने की मंशा जतायी है, जहां भारत एवं चीन के सैनिकों के बीच हिंसक टकराव देखा गया था। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने यह भी कहा कि समिति सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र का दौरा करने के लिए सरकार से पहले अनुमति ले सकती है।

सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जोएल ओराम की अध्यक्षता वाली यह 30 सदस्यीय समिति मई के अंतिम सप्ताह या जून में पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र में जाने की मंशा बना रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इसके सदस्य हैं।
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इस क्षेत्र में जाने का निर्णय समिति की पिछली बैठक में किया गया। उस बैठक में गांधी उपस्थित नहीं थे।

नौ माह तक चले गतिरोध के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगांग नदी के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों से सैनिकों को हटाने की सहमति बनी। इसके तहत दोनों पक्ष अग्रिम तैनातियों से सैनिकों को चरणबद्ध, समन्वित और पुष्टि योग्य तरीके से हटाएंगे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को संसद में इस समझौते के बारे में संसद में विस्तार से बयान दिया था।

समझौते के अनुसार चीन उत्तरी तट पर ‘फिंगर 8’ के पूर्वी इलाके से अपने सैनिक हटायेगा जबकि भारतीय सैनिक ‘फिंगर 3’ के पास धन सिंह थापा चौकी के पास अपना स्थायी ठिकाने पर रहेंगे।

सिंह ने कहा कि झील के दक्षिणी इलाके में भी इसी तरह के कदम उठाए जाएंगे।
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रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगांग त्सो में सैनिकों को हटाने का समझौता करते समय चीन को कोई भूभाग नहीं दिया है। देपसांग, हॉट स्प्रिंग और गोगरा सहित लंबित ‘‘समस्याओं’’ पर दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की अगली बैठक में विचार किया जाएगा।

मंत्रालय के इस बयान से कुछ ही समय पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि सरकार ने भारत का भूभाग चीन को दे दिया है। उन्होंने सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए थे।

मंत्रालय ने इस दावे को ‘‘पूरी तरह से झूठ’’ करार दिया कि पैंगांग त्सो क्षेत्र में भारत का भूभाग ‘फिंगर 4’ तक है। उसने कहा कि क्षेत्र में दोनों पक्षों की चौकियां सुव्यवस्थित और काफी लंबे समय से हैं।

मंत्रालय ने कठोर शब्दों वाले बयान में कहा, ‘‘भारत ने इस समझौते के परिणामस्वरूप किसी भूभाग को नहीं दिया है। इसने एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) का पालन और सम्मान लागू करवाया है और यथास्थिति में किसी भी प्रकार के एकपक्षीय परिवर्तन को निषेध किया है।’’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पैंगांग झील से सैनिकों को हटाने का काम पूरा होने के 48 घण्टे के भीतर वरिष्ठ कमांडरों की 10वें दौर की वार्ता कराने पर दोनों देशों ने सहमति जतायी है ताकि बकाया मुद्दों पर विचार किया जा सके। साथ ही इसमें कहा गया कि भारत-चीन सीमा मामलों पर सलाह एवं समन्वय हेतु कार्यशील तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के लिए कोई तिथि तय नहीं की गयी है।

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पैंगांग झील के उत्तरी एवं दक्षिण तटों पर सैनिकों को हटाने के समझौते के अनुसार भारत एवं चीन, दोनों पक्षों ने ‘‘चरणबद्ध, समन्वित और पुष्टि किए जा सकने योग्य’’ तरीके से सैनिकों की अग्रिम तैनाती को हटाने पर सहमति जतायी है।

 
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