पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोपी की याचिका खारिज
पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोपी की याचिका खारिज
प्रयागराज, 12 दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुस्लिम समुदाय के पैगंबर के खिलाफ फेसबुक पर टिप्पणी करने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मुकदमा रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि उक्त पोस्ट में शब्द स्पष्ट रूप से धार्मिक भावनाएं आहत करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से इस्तेमाल किए गए थे।
अदालत ने यह भी कहा कि बीएनएनएस की धारा 528 के तहत उच्च न्यायालय को मिले अधिकारों का संयमित ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में इस अधिकार के आह्वान के लिए पर्याप्त आधार पेश नहीं किया गया है।
तथ्यों के मुताबिक, आरोपी मनीष तिवारी के खिलाफ बीएनएस की धारा 302 (किसी व्यक्ति की धार्मिक भावना आहत करने के लिए जानबूझकर शब्दों का उपयोग) और 353(2) (झूठी सूचना वाले बयान जारी करना) के तहत एक मामला दर्ज किया गया था जिसमें उस पर फेसबुक पर पैगंबर के खिलाफ पोस्ट लिखने का आरोप लगाया गया।
अभियोजन पक्ष के वकील ने दलील दी कि मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने इस कृत्य का विरोध किया क्योंकि इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
मौजूदा याचिका आरोप पत्र और इस साल जुलाई में जारी समन आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि संबंधित मजिस्ट्रेट ने न्यायिक दिमाग लगाए बिना इसे संज्ञान में लिया। याचिकाकर्ता ने मुस्लिम धर्म के खिलाफ कभी कोई टिप्पणी नहीं की और उसके करीबी एक व्यक्ति ने याचिकाकर्ता का मोबाइल नंबर उपयोग करके कथित टिप्पणी की।
अदालत ने तथ्यों पर गौर करने के बाद आरोपी के वकील की दलील में कोई दम नहीं पाया और दो दिसंबर को दिए अपने आदेश में कहा, “इस चरण में यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता।”
भाषा सं राजेंद्र अमित
अमित

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