पीएम 2.5 में वृद्धि ः दिल्ली के अस्पतालों में हर हफ्ते भर्ती के लिेए आते हैं सात से अधिक मामले | Pm 2.5 hike: More than seven cases come up for recruitment every week in Delhi hospitals

पीएम 2.5 में वृद्धि ः दिल्ली के अस्पतालों में हर हफ्ते भर्ती के लिेए आते हैं सात से अधिक मामले

पीएम 2.5 में वृद्धि ः दिल्ली के अस्पतालों में हर हफ्ते भर्ती के लिेए आते हैं सात से अधिक मामले

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:35 PM IST, Published Date : June 23, 2021/10:01 am IST

(गौरव सैनी)

नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) वायु में मौजूद प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 में 10 यूनिट की वृद्धि के चलते श्वसन संबंधी समस्या की वजह से दिल्ली में हर सप्ताह अस्पतालों में भर्ती होने के सात से अधिक मामले आते हैं।

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात कही गई है। स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव का आकलन करने संबंधी यह अध्ययन अप्रैल 2019 में शुरू किया गया था।

इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि 15 महीने किए गए अध्ययन की रिपोर्ट लगभग तीन महीने पहले दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को सौंपी गई। डीपीसीसी ने ही मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) से इस संबंध में अध्ययन करने को कहा था।

एमएएमसी के सामुदायिक औषधि विभाग की पूर्व डीन एवं प्रमुख डॉक्टर नंदिनी शर्मा के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल, लोक नायक अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल और मदन मोहन मालवीय अस्पताल से आंकड़े एकत्र किए गए।

रिपोर्ट के अनुसार अस्पतालों में हृदय-श्वसन संबंधी दिक्कतों के चलते भर्ती होने के मामलों के संदर्भ में वायु गुणवत्ता सूचकांक और प्रदूषक तत्वों के स्तर में बदलाव के प्रभाव का मूल्यांकन किया गया।

अध्ययन में पता चला कि पीएम 2.5 में 10 यूनिट की वृद्धि हर सप्ताह श्वसन संबंधी दिक्कतों के चलते कुल मिलाकर अस्पतालों में भर्ती होने के 7.09 नए मामलों के लिए जिम्मेदार है।

इस अध्ययन में यह साक्ष्य हासिल हुआ है कि अस्पतालों में हृदय एवं फेफड़ों संबंधी दिक्कतों के चलते भर्ती होने के मामलों में वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ ही वृद्धि होती है।

अध्ययन में शामिल लोगों ने दिल्ली में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण मोटर-वाहनों और उद्योगों को माना। कुछ लोगों ने इसका कारण पराली जलाए जाने तथा पटाखों को माना।

भाषा

नेत्रपाल पवनेश

पवनेश

 

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