PM Modi on UCC: 98 मिनट लंबा भाषण.. न्यायिक सुधार और समान नागरिक संहिता के साफ संकेत, जानें लाल किले से पीएम मोदी ने इन पर क्या-क्या कहा
98 मिनट लंबा भाषण.. न्यायिक सुधार और समान नागरिक संहिता के साफ संकेत, PM Modi on UCC : Clear signs of judicial reform and uniform civil codePM Modi on UCC
PM Modi on Green Job
नई दिल्लीः PM Modi on UCC 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने लाल किले में 11वीं बार तिरंगा फहराया। इस दौरान पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए विकसित भारत @2047 का रोड मैप रखा। यह अब तक उनका सबसे लंबा भाषण है। नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर 98 मिनट का भाषण देकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। उन्होंने 2016 में 94 मिनट का भाषण देकर रिकॉर्ड बनाया था, जिसे उन्होंने इस साल तोड़ दिया। तो चलिए जानते हैं कि आखिर उनके भाषण क्या खास रहा..
PM Modi on UCC पीएम मोदी ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लागू करना और भेदभावपूर्ण सांप्रदायिक नागरिक संहिता को खत्म करना समय की मांग है। उन्होंने कहा “हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यूसीसी को लेकर चर्चा की है, अनेक बार आदेश दिए हैं। क्योंकि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस सिविल कोड को लेक हम जी रहे हैं। वह सिविल कोड सचमुच में एक सांप्रदायिक और भेदभाव करने वाला सिविल कोड है।” पीएम मोदी ने कहा “मैं मानता हूं कि इस (समान नागरिक संहिता) विषय पर देश में गंभीर चर्चा हो। हर कोई अपने विचार लेकर आए। जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं। ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं। उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता। अब देश की मांग है कि देश में धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड हो।”
पुराने क्रिमिनल लॉ थे, उन्हें खत्म कियाः मोदी
मोदी ने कहा हमने 1500 से ज्यादा कानूनों को खत्म कर दिया। छोटी गलती के चलते जेल जाने वाले कानूनों को खत्म कर दिया। आज हमने जो आजादी की विरासत की गर्व की बात करते हैं। सदियों से जो पुराने क्रिमिनल लॉ थे, उन्हें खत्म किया है। हमने दंड नहीं न्याय पर फोकस रखा।
मोदी बोले- सरकार को बताएं कि ये नियम सही नहीं, हम विचार करेंगे
हमें मिशन मोड में ईज ऑफ लिविंग को आगे बढ़ाना है। आप सरकार को बताएं कि ये नियम सही नहीं, हम उस पर विचार करेंगे। गर्वनेंस पर रिफॉर्म विकसित भारत के सपने को पूरा करेगा। सामान्य नागरिकों के जीवन में सम्मान मिले, कोई ये न कहे ये मेरा हक था, मुझे मिला नहीं, ऐसा नहीं होना चाहिए। आज देश में करीब 3 लाख संस्थाएं काम कर रही हैं।

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