प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा करना स्वतंत्रता दिवस का अपमान: विजयन

प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा करना स्वतंत्रता दिवस का अपमान: विजयन

प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा करना स्वतंत्रता दिवस का अपमान: विजयन
Modified Date: August 16, 2025 / 04:08 pm IST
Published Date: August 16, 2025 4:08 pm IST

(फोटो के साथ)

तिरुवनंतपुरम, 16 अगस्त (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का महिमामंडन करने की आलोचना की और कहा कि यह स्वतंत्रता दिवस और स्वतंत्रता संग्राम का अपमान करने के समान है।

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में विजयन ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा संघ की प्रशंसा करना दक्षिणपंथी संगठन को “स्वतंत्रता का श्रेय” देने का प्रयास है, जिस पर महात्मा गांधी की हत्या के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया था।

 ⁠

मोदी के कदम को “इतिहास को नकारना” बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के “हास्यास्पद उपाय” संघ की “विभाजनकारी राजनीति के जहरीले इतिहास” को नहीं छुपा सकते।

उन्होंने बयान में कहा, “प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता दिवस के संबोधन का इस्तेमाल संघ का महिमामंडन करने के लिए करना, उस दिन का अपमान करने के समान है।”

मोदी ने अपने संबोधन में संघ की स्थापना के 100 साल पूरा होने का उल्लेख किया और कहा कि इस संगठन की राष्ट्रसेवा की यात्रा पर देश गर्व करता है।

संघ के प्रचारक रह चुके मोदी ने कहा, “आज से 100 साल पहले एक संगठन का जन्म हुआ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ… । 100 साल की राष्ट्र की सेवा एक बहुत ही गौरवपूर्ण कार्य है। व्यक्ति निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य लेकर मां भारती के कल्याण के लिए लाखों स्वयंसेवकों ने अपना जीवन समर्पित किया।”

विजयन ने कहा कि संघ की प्रशंसा और पेट्रोलियम मंत्रालय के स्वतंत्रता दिवस ‘ग्रीटिंग कार्ड’ में विनायक दामोदर सावरकर की फोटो को महात्मा गांधी के ऊपर रखना, यह दर्शाता है कि यह सब “एक बड़ी साजिश का हिस्सा” है।

मार्क्सवादी नेता ने दावा किया कि संघ “घृणा, सांप्रदायिकता और दंगों का गंदा बोझ” ढो रहा है। उन्होंने देश से एकजुट होकर मानवीय प्रेम और पारस्परिकता के इतिहास को दफनाने और उसकी जगह घृणा लाने की किसी भी कोशिश का विरोध करने का आग्रह किया।

भाषा आशीष प्रशांत

प्रशांत


लेखक के बारे में