संथाली भाषा में संविधान का प्रकाशन आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करेगा: नड्डा

संथाली भाषा में संविधान का प्रकाशन आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करेगा: नड्डा

संथाली भाषा में संविधान का प्रकाशन आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करेगा: नड्डा
Modified Date: December 27, 2025 / 12:57 am IST
Published Date: December 27, 2025 12:57 am IST

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने संथाली भाषा में संविधान के प्रकाशन को शुक्रवार को एक “ऐतिहासिक” उपलब्धि बताया, जो देश में आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को “मजबूत” करेगी।

नड्डा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि इस कदम से संथाली भाषी लोगों की लोकतांत्रिक भागीदारी और संवैधानिक जागरूकता भी बढ़ेगी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में संथाली में प्रकाशित भारतीय संविधान का विमोचन किया।

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संथाली भाषा में संविधान के प्रकाशन को आदिवासियों के लिए एक गौरवशाली पल बताते हुए नड्डा ने कहा, “यह ऐतिहासिक पहल भारत की विविध भाषाओं और सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

उन्होंने कहा, “संथाली भारत की प्राचीन और जीवंत भाषाओं में से एक है। ओलचिकी लिपि में अनुवादित हमारा संविधान संथाली भाषी नागरिकों की लोकतांत्रिक भागीदारी और संवैधानिक जागरूकता को बढ़ाएगा।”

नड्डा ने कहा, “यह कदम हमारे आदिवासी भाइयों की सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूत करेगा।”

भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन ने भी संथाली भाषा में संविधान के प्रकाशन को एक “ऐतिहासिक पल” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कदम भारतीय लोकतंत्र की समावेशी भावना को मजबूत करता है।

नवीन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “ओलचिकी लिपि में प्रकाशित यह संविधान संथाली भाषी लोगों को उनकी अपनी भाषा में “संवैधानिक मूल्यों” को संप्रेषित करने का एक प्रभावी जरिया होगा।”

उन्होंने लिखा, “इस पहल से न केवल आदिवासियों की सांस्कृतिक पहचान को सम्मान मिलेगा, बल्कि उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी और संवैधानिक जागरूकता भी बढ़ेगी। इस दूरदर्शी प्रयास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हार्दिक धन्यवाद।”

भाषा पारुल आशीष

आशीष


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