कश्मीरी पंडित महिला की हत्या के दशकों पुराने मामले में जेकेएलएफ के पूर्व सदस्यों के घरों पर छापेमारी

कश्मीरी पंडित महिला की हत्या के दशकों पुराने मामले में जेकेएलएफ के पूर्व सदस्यों के घरों पर छापेमारी

कश्मीरी पंडित महिला की हत्या के दशकों पुराने मामले में जेकेएलएफ के पूर्व सदस्यों के घरों पर छापेमारी
Modified Date: August 12, 2025 / 09:13 pm IST
Published Date: August 12, 2025 9:13 pm IST

श्रीनगर, 12 अगस्त (भाषा) आतंकवाद के प्रकोप के दौरान 35 साल पहले कश्मीरी पंडित समुदाय की एक महिला की हत्या की जांच फिर से शुरू हो गई है और राज्य अन्वेषण अभिकरण (एसआईए) ने मंगलवार को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जेकेएलएफ के पूर्व सदस्यों से जुड़े आठ स्थानों पर छापेमारी की।

सरला भट्ट अप्रैल 1990 में सोरा स्थित ‘शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज’ के अपने छात्रावास से लापता हो गई थीं और बाद में श्रीनगर में मृत पाई गई थीं। वह एक नर्स थीं।

अधिकारियों ने बताया कि एसआईए ने हाल में मामले की जांच अपने हाथ में ली और उसने हत्या के सिलसिले में कई ऐसे लोगों के आवासों पर छापे मारे जो पूर्व में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) से जुड़े थे। यह कार्रवाई मध्य कश्मीर में हुई है।

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एजेंसी के अधिकारियों ने जेकेएलएफ के पूर्व नेता पीर नूर-उल-हक शाह उर्फ एयर मार्शल के आवास पर भी तलाशी ली।

अधिकारियों ने कहा, ‘‘श्रीनगर जिले में आठ स्थानों पर की गई रणनीतिक तलाशी के परिणामस्वरूप कुछ अपराध से जुड़े साक्ष्य बरामद हुए हैं, जिससे पीड़िता और उसके परिवार को न्याय दिलाने के अंतिम उद्देश्य के साथ पूरी आतंकवादी साजिश का पर्दाफाश करने में मदद मिलेगी।’

भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि भट्ट की हत्या उन अत्याचारों की सबसे भयावह याद दिलाती है, जिनके कारण 1990 में कश्मीरी पंडितों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ था।

उन्होंने कहा, “ हथियारबंद आतंकवादियों ने उसे उसके कार्यस्थल से अगवा कर लिया, एक अज्ञात स्थान पर ले जाकर उसे भयानक यातनाएं दीं। उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, उसके शरीर को विकृत किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई-उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए गए और दहशत फैलाने के लिए उन्हें फेंक दिया गया।”

मालवीय ने कहा, ‘‘उनकी हत्या न केवल एक जघन्य अपराध थी, बल्कि कश्मीरी पंडितों के खिलाफ जातीय सफाए के लक्षित अभियान का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य हिंदू अल्पसंख्यकों को घाटी से बाहर निकालना था।’’

भाषा

नोमान संतोष

संतोष


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