सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम की गई तो होगा पुरजोर विरोध: कांग्रेस

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम की गई तो होगा पुरजोर विरोध: कांग्रेस

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम की गई तो होगा पुरजोर विरोध: कांग्रेस
Modified Date: July 19, 2024 / 11:29 am IST
Published Date: July 19, 2024 11:29 am IST

नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) कांग्रेस ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 55 साल पूरे होने पर शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी को कमज़ोर करने के किसी भी कदम का संसद और बाहर दोनों जगह पुरजोर विरोध किया जाएगा।

वर्ष 1969 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था।

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘आज ही के दिन, 55 साल पहले इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों के राष्ट्रीयकरण का निर्णायक क़दम उठाकर भारत के आर्थिक इतिहास में एक नया अध्याय शुरू किया था। ‘

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उन्होंने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण का कृषि, ग्रामीण विकास और अर्थव्यवस्था के अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए ऋण देने के मामले में गहरा प्रभाव पड़ा।

रमेश ने कहा, ‘पिछले सात वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग उद्योग में बड़े पैमाने पर विलय हुए हैं। यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर दिया गया है। सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक का हिस्सा बना दिया गया है। इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय हुआ।’

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इन विलयों की अपनी स्पष्ट चुनौतियां हैं, लेकिन उन्हें मोटे तौर पर केवल इसलिए स्वीकार किया गया क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए।

रमेश के अनुसार, वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में उस स्थिति को कमज़ोर करने के किसी भी कदम का संसद में और बाहर, दोनों जगह जोरदार विरोध किया जाता रहेगा।

भाषा हक खारी मनीषा

मनीषा


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