न्यायालय के न्यायाधीश ने मनरेगा धन आवंटन की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

न्यायालय के न्यायाधीश ने मनरेगा धन आवंटन की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

न्यायालय के न्यायाधीश ने मनरेगा धन आवंटन की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
Modified Date: February 9, 2024 / 02:36 pm IST
Published Date: February 9, 2024 2:36 pm IST

नयी दिल्ली, नौ फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने शुक्रवार को एक राजनीतिक दल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। याचिका में केंद्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि राज्यों के पास महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लागू करने के लिए पर्याप्त धन हो।

न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ को याचिका पर सुनवाई करनी थी।

जैसे ही मामला सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति नरसिम्हा के सामने आया उन्होंने कहा कि वह इस मामले में एक वकील के रूप में पेश हुए थे इसलिए नयी पीठ के गठन के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखना होगा।

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कॉलेजियम की सिफारिश पर न्यायमूर्ति नरसिम्हा को उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण पेश हुए।

स्वराज अभियान ने अपनी नयी याचिका में बताया कि वर्तमान में देश में मनरेगा के तहत करोड़ों श्रमिकों को गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है और अधिकांश राज्यों में उनकी लंबित मजदूरी के साथ-साथ बकाया भी बढ़ रहा है।

याचिका के मुताबिक, 26 नवंबर, 2021 तक राज्य सरकारों को 9,682 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ा और वर्ष की समाप्ति से पहले ही वर्ष के लिए आवंटित धन 100 प्रतिशत तक समाप्त हो गया।

याचिका में बताया गया कि धन की कमी का यह बहाना कानून का घोर उल्लंघन है और इस बाबत मनरेगा मजदूरी भुगतान पर शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया गया।

याचिका के मुताबिक, केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र बनाने के निर्देश जारी किया जाये कि राज्यों के पास आगामी महीने के लिए कार्यक्रम को लागू करने के लिए पर्याप्त धन हो।

भाषा जितेंद्र नरेश

नरेश


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