न्यायालय ने युवक की मौत की एसआईटी जांच के आदेश दिए, मप्र के मंत्री को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी

न्यायालय ने युवक की मौत की एसआईटी जांच के आदेश दिए, मप्र के मंत्री को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी

न्यायालय ने युवक की मौत की एसआईटी जांच के आदेश दिए, मप्र के मंत्री को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी
Modified Date: December 11, 2025 / 07:17 pm IST
Published Date: December 11, 2025 7:17 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक आदिवासी युवक की मौत की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया और इस घटना के सिलसिले में दर्ज आपराधिक मामले में राज्य के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी।

उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ ने 30 अक्टूबर को खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री राजपूत की अग्रिम जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हैं और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 18 के तहत वैधानिक रोक इस मामले में लागू होती है।

बृहस्पतिवार को प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक को नीलेश आदिवासी (21) की मौत की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश दिया।

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नीलेश ने राजपूत के खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी)अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया था, लेकिन बाद में दावा किया कि उन्हें यह शिकायत दर्ज कराने के लिए मजबूर किया गया था। शिकायत वापस लेने के कुछ ही समय बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली और उनकी मृत्यु के संबंध में राजपूत के खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम के तहत एक नया मामला दर्ज किया गया।

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि दो दिनों के भीतर एसआईटी का गठन किया जाए और इसमें राज्य कैडर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) स्तर के दो अधिकारी शामिल किये जाएं, जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी न हों, ताकि घटना के परस्पर विरोधी बयानों के बीच निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

पीठ ने कहा कि एसआईटी में तीसरी अधिकारी एक महिला डीएसपी होनी चाहिए तथा एसआईटी मामले की शीघ्रता से जांच करे और एक महीने के भीतर इसे पूरा करना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि एसआईटी को तुरंत काम शुरू करना चाहिए और मौत के पीछे के हर पहलू की जांच करनी चाहिए, जिसमें वे पहलू भी शामिल हैं जो मामले की जारी पुलिस जांच का हिस्सा नहीं हो सकते हैं।

न्यायालय ने कहा, ‘‘विरोधाभासी बयानों के मद्देनजर, हम निर्देश देते हैं कि गोविंद सिंह राजपूत की गिरफ्तारी को अंतरिम उपाय के रूप में स्थगित किया जाए। यदि एसआईटी को कोई आपत्तिजनक सामग्री मिलती है, तो एसआईटी हिरासत में पूछताछ के लिए इस न्यायालय से अनुमति मांग सकती है। एसआईटी को उन अन्य संभावनाओं पर भी विचार करना चाहिए जिनके कारण युवक की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले की नये सिरे से जांच कराना ‘‘आवश्यक’’ है।

राजपूत को गिरफ्तारी से राहत देने के लिए, न्यायालय ने गवाहों की सुरक्षा के उपाय लागू करने और किसी पर भी, विशेष रूप से आदिवासी गवाहों पर दबाव न डालने का निर्देश दिया।

राजपूत को गिरफ्तारी से राहत देने के अलावा, अदालत ने मृतक के भाई को जांच के दौरान अंतरिम सुरक्षा प्रदान की।

पीठ ने कहा, ‘‘मृतक के भाई के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए ताकि वह जांच में शामिल हो सकें।’’

इस बीच, पीठ ने उच्च न्यायालय से नीलेश आदिवासी की पत्नी द्वारा दायर लंबित रिट याचिका पर सुनवाई करने को कहा, जिसमें उन्होंने स्थानीय पुलिस की शिथिलता और पक्षपात का आरोप लगाते हुए हस्तक्षेप की मांग की थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय को शीर्ष न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के आलोक में उनकी याचिका पर निर्णय लेना चाहिए।

यह आदेश राजपूत की उस याचिका पर पारित किया गया, जिसमें उन्होंने नीलेश की कथित आत्महत्या के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ अपील की थी।

नीलेश ने पहले एक जुलाई को राजपूत के खिलाफ जाति आधारित दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।

कुछ दिनों बाद, नीलेश ने पुलिस अधीक्षक को हस्ताक्षरित हलफनामे में बताया कि उसकी शिकायत झूठी थी और नशे की हालत में उससे ली गई थी।

उसने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में कहा था कि राजपूत के साथ उसका कोई विवाद नहीं था और उसने कथित तौर पर एक स्थानीय राजनेता से जुड़े लोगों के दबाव में पूर्व में शिकायत दर्ज कराई थी।

उसी महीने के अंत में नीलेश ने फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली। उसका शव 25 जुलाई को उसके घर में मिला था।

कुछ दिनों बाद, उसकी पत्नी ने तीन शिकायतें दर्ज कराईं और कई लोगों के नाम का उल्लेख किया, जिन्होंने उनके पति की मृत्यु से पहले कथित तौर पर उन्हें परेशान किया था।

नीलेश की मौत के एक महीने से अधिक समय बाद, 4 सितंबर को पुलिस ने राजपूत पर एक नया मामला दर्ज किया और आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी/एसटी अधिनियम के तहत अपराधों से संबंधित प्रावधानों का इस्तेमाल किया।

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश


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