न्यायालय ने पनीरसेल्वम, अन्य को निष्कासित करने के मामले में दखल देने से किया इनकार

न्यायालय ने पनीरसेल्वम, अन्य को निष्कासित करने के मामले में दखल देने से किया इनकार

न्यायालय ने पनीरसेल्वम, अन्य को निष्कासित करने के मामले में दखल देने से किया इनकार
Modified Date: January 19, 2024 / 01:08 pm IST
Published Date: January 19, 2024 1:08 pm IST

नयी दिल्ली,19 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया जिसमें पनीरसेल्वम और उनके समर्थकों को निष्कासित करने के अन्नाद्रमुक आम परिषद के प्रस्ताव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने पनीरसेल्वम और उनके समर्थकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल तथा अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘ अगर हम इस चरण में हस्तक्षेप करते हैं तो इससे काफी अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी। हमें ऐसा लगता है कि एक प्रकार का विभाजन है और यह खुद ही हल हो जाएगा। कई बार चीजों को खुद ही ठीक होने के लिए छोड़ देना बेहतर होता है। क्षमा करें हम उच्च न्यायालय के आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं।’’

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शीर्ष अदालत ने हालांकि लंबित मामलों की शीघ्र सुनवाई का निर्देश दिया और पनीरसेल्वम (ओपीएस) तथा उनके सहयोगियों को सभी मामलों को एक साथ मिलाने संबंधी अर्जी दायर करने की स्वतंत्रता दी।

ओपीएस और उनके समर्थकों ने मद्रास उच्च न्यायालय के 25 अगस्त 2023 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। मद्रास उच्च न्यायालय ने उनकी ओर से 28 मार्च 2023 के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

ओपीएस और उनके समर्थकों ने 11 जुलाई, 2022 के आम परिषद के प्रस्तावों में समन्वयक और संयुक्त समन्वयक के पदों को समाप्त करने, महासचिव पदों को बहाल करने और पार्टी से उनके निष्कासन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

भाषा शोभना नरेश

नरेश


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