नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 737 दिन की देरी से अपील दायर करने पर केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ऐसी जगह नहीं है जहां वे जब चाहें तब संपर्क कर सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने 25,000 रुपये का जुर्माना लगाने के साथ विलंब के लिए माफ करने का आग्रह करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। जुर्माना देर से अपील दायर करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से वसूल किया जाएगा।
सरकार की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि इस मामले में पैसा दांव पर है, तो न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा, ‘क्या हम सरकार के लिए धन संग्रहकर्ता हैं?’ इस पर वकील ने कहा, ‘बिलकुल नहीं।’
शुरुआत में, सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि मुद्दा जुर्माना लगाने के बाद ब्याज के भुगतान के बारे में है।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘आप जानते हैं कि मैंने देरी से आने वाले सरकार के इन मामलों में जुर्माना लगाया है। आप अपने अधिकारियों की खाल बचाना चाहते हैं, यही पूरी समस्या है।’
अदालत ने स्पष्ट किया कि चूंकि अपील को सीमा के आधार पर खारिज कर दिया गया है, इसलिए उसने गुण-दोष के आधार पर मामले की पड़ताल नहीं की है।
भाषा
नेत्रपाल माधव
माधव
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