निर्माण श्रमिकों को पूरा भत्ता न देने पर न्यायालय ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई
निर्माण श्रमिकों को पूरा भत्ता न देने पर न्यायालय ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को निर्माण श्रमिकों को पूरा निर्वाह भत्ता नहीं देने पर फटकार लगाई। राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के कारण उनके पास कोई काम नहीं था ।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव धर्मेंद्र से 90,693 निर्माण श्रमिकों को अनिवार्य 8,000 रुपये में से केवल 2,000 रुपये का भुगतान करने के लिए पूछताछ की और शेष राशि तुरंत जारी करने का निर्देश दिया।
पीठ ने शीर्ष नौकरशाह से पूछा, ‘‘आप चाहते हैं कि निर्माण श्रमिक भूखे मरें? क्या यह कल्याणकारी राज्य नहीं है? यदि आप 90,693 श्रमिकों को 2,000 रुपये दे सकते हैं, तो आप उन्हें शेष 6000 रुपये क्यों नहीं दे सकते?’’
शीर्ष अदालत ने अधिकारी को चेतावनी दी कि यदि उसके निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
इस पर ऑनलाइन माध्यम से अदालत में पेश हुये मुख्य सचिव ने पीठ को बताया कि श्रम विभाग से प्राप्त जानकारी से पता चला है कि पोर्टल में पंजीकृत 90,693 निर्माण श्रमिकों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए 2,000 रुपये का भुगतान किया गया है।
उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘क़ानून में सत्यापन का प्रावधान है और इसलिए, हम इन श्रमिकों के उचित सत्यापन के बाद शेष राशि का भुगतान करेंगे।’’
हालांकि, मुख्य सचिव की दलील, अदालत पर ज्यादा असर नहीं डाल सकी और पीठ ने कहा कि शेष राशि तत्काल जारी की जानी चाहिए।
भाषा रंजन नरेश
नरेश

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