न्यायालय ने दुष्कर्म पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की टिप्पणियों पर रोक लगाई

न्यायालय ने दुष्कर्म पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की टिप्पणियों पर रोक लगाई

न्यायालय ने दुष्कर्म पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की टिप्पणियों पर रोक लगाई
Modified Date: March 26, 2025 / 12:02 pm IST
Published Date: March 26, 2025 12:02 pm IST

नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश में की गईं उन टिप्पणियों पर रोक लगा दी कि महज स्तन पकड़ना और ‘पायजामे’ का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि उसे यह कहते हुए तकलीफ हो रही है कि उच्च न्यायालय के आदेश में की गईं कुछ टिप्पणियां पूरी तरह से असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण वाली हैं।

पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 17 मार्च के आदेश से संबंधित मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू की गई कार्यवाही में केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया।

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उच्च न्यायालय ने 17 मार्च को अपने एक आदेश में कहा था कि महज स्तन पकड़ना और ‘पायजामे’ का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता लेकिन इस तरह के अपराध किसी भी महिला के खिलाफ हमले या आपराधिक बल के इस्तेमाल के दायरे में आते हैं।

यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने दो व्यक्तियों द्वारा दायर एक याचिका पर दिया था। इन आरोपियों ने कासगंज के विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी।

भाषा शोभना नेत्रपाल

नेत्रपाल


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