पश्चिम बंगाल में हाथापाई : अन्य विधानसभाओं में हुई ‘बदनाम’घटनाएं |

पश्चिम बंगाल में हाथापाई : अन्य विधानसभाओं में हुई ‘बदनाम’घटनाएं

पश्चिम बंगाल में हाथापाई : अन्य विधानसभाओं में हुई ‘बदनाम’घटनाएं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : March 28, 2022/9:34 pm IST

चेन्नई, 28 मार्च (भाषा) पश्चिम बंगाल की विधानसभा में सोमवार को हंगामा देखने को मिला और बीरभूम हिंसा के मुद्दे पर सत्तरूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के विधायकों में हाथापाई की स्थिति आ गई लेकिन यह पहली घटना नहीं है जब सदन में जनप्रतिनिधियों द्वारा उग्रता दिखाई गई है।

अलग-अलग राज्यों की विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच हुई कुछ ऐसी ही घटनाएं इस प्रकार हैं।

तमिलनाडु, 1989 : राज्य विधानसभा में अप्रिय दृश्य उस समय देखने को मिला जब सत्तारूढ़ द्रमुक के सदस्यों ने तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और अन्नाद्रमुक विधायक जे जयललिता पर कथित तौर पर हमला किया और अपमानित किया। वह पार्टी विधायकों की सुरक्षा में बिखरे बाल के साथ बाहर आईं और उनकी इस तस्वीर ने तमिलनाडु की राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी। जयललिता ने संकल्प लिया था कि वह अब मुख्यमंत्री के तौर पर ही सदन में आएंगी और दो साल बाद उन्होंने ऐसा ही किया।

तमिलनाडु, 2017 : के पलानीस्वामी के नेतृत्व् वाली अन्नाद्रमुक सरकार के विश्वास मत के दौरान सदन के भीतर और बाहर सत्तारूढ़ और विपक्षी सदस्यों में हाथापाई हुई। यहां तक कुछ सदस्य स्पीकर के आसन पर चढ़ गए और उनकी कुर्सी पर बैठ गए। इसके बाद विपक्षी द्रमुक के सदस्यों को जबरन निकाला गया। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन और स्पीकर पी धनपाल ने कहा कि इस हंगामे में उनका कुर्ता फट गया है।

महाराष्ट्र, 2009 : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के चार विधायकों को समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी पर हिंदी में शपथ लेने की वजह से हमला करने के कारण चार साल के लिए निलंबित किया गया। नवनिर्वाचित विधायक शपथ ले रहे थे तभी राज ठाकरे नीत पार्टी के विधायकों ने हमला किया और सुरक्षा कर्मियों के आने तक उन्हें धक्का देने के साथ थप्पड़ जड़ दिया। बाद में उन्हें सुरक्षाकर्मी की सुरक्षा में उन्हें सदन से बाहर ले जाया गया।

ठाकरे ने इससे पहले विधायकों को मराठी में ही शपथ लेने की अपील की थी और आजमी को निशाना बनाकर चेतावनी दी थी।

संसद, 2021 : राज्यसभा में उस समय कुरूप दृश्य देखने को मिला जब कुछ सांसदों ने कागज फाड़ दिया और पीठासीन अधिकारी की कुर्सी तक जाने की कोशिश करने के दौरान रोके जाने पर मार्शल से उलझ गए। उन्होंने कथित तौर पर मार्शल पर भी हमला किया। इसकी वजह से अगस्त में मानसून सत्र को निर्धारित समय से दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस घटना के बाद विपक्ष के 12 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया।

केरल, 2015 : विधानसभा में 13 मार्च को अप्रत्याशित घटना उस समय देखने को मिली जब विपक्षी वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के सदस्यों ने तत्कालीन वित्तमंत्री केएम मणि को बजट पेश करने से रोकने की कोशिश की क्योंकि वह बार घूसकांड के आरोपों का सामना कर रहे थे। हंगामे के दौरान स्पीकर की कुर्सी मंच से उछाल दी गई और कथित तौर पर पीठासीन अधिकारी की मेज पर मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे कंप्यूटर, कीबोर्ड , माइक आदि को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश, 2017 : राज्यपाल राम नाइक पर उनके संबोधन के दौरान विपक्ष द्वारा कागज की गेंदे फेंकी गई। इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी की और आसन के सामने आ गए। यहां तक राज्यपाल की आवाज सुनाई नहीं दे इसके लिए समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने कथित तौर पर 35 मिनट के भाषण के दौरान सीटी भी बजाई।

जम्मू-कश्मीर, 2019 : सदन में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू करने के लिए हुई चर्चा के दौरान हंगामा देखने को मिला। विपक्षी सदस्यों द्वारा आसन की ओर जाने की वजह से कार्यवाही स्थगित करनी प़ड़ी।

भाषा धीरज उमा

उमा

 

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