एसआईआर: ईसी ने न्यायालय में बंगाल, तमिलनाडु में मताधिकार से वंचित करने के दावों को ‘अतिरंजित’ बताया
एसआईआर: ईसी ने न्यायालय में बंगाल, तमिलनाडु में मताधिकार से वंचित करने के दावों को ‘अतिरंजित’ बताया
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में मतदाता सूचियों के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का उच्चतम न्यायालय में दृढ़ता से बचाव करते हुए कहा कि वास्तविक मतदाताओं के नाम बड़े पैमाने पर हटाए जाने के आरोप ‘अतिरंजित’, अटकलों पर आधारित तथा राजनीति से प्रेरित हैं।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने 11 नवंबर को द्रमुक, माकपा, कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग से अलग-अलग जवाब मांगे थे, जिनमें क्रमशः तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में एसआईआर कराये जाने को चुनौती दी गई थी।
शीर्ष अदालत में अलग-अलग हलफनामे दाखिल करते हुए निर्वाचन आयोग के सचिव पवन दीवान ने एसआईआर कराने के आयोग के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध किया।
टीएमसी की सांसद डोला सेन और अन्य की याचिका पर 26 नवंबर को दायर 81 पृष्ठों के जवाबी हलफनामे में निर्वाचन आयोग ने कहा कि पश्चिम बंगाल में व्यापक स्तर पर मताधिकार से वंचित करने का आरोप “निहित राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए लगाया जा रहा है।”
इसमें कहा गया, “यह निवेदन किया जाता है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16, 19 और 22 के साथ अनुच्छेद 324 और 326 के नियम 21 ए के साथ सामंजस्यपूर्ण अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि भारत निर्वाचन आयोग को संवैधानिक मताधिकार प्रदान करने के लिए मतदाताओं की नागरिकता सहित पात्रता का आकलन करने की शक्तियां प्राप्त हैं। एसआईआर प्रक्रिया के संबंध में जारी दिशानिर्देश संवैधानिक हैं और मतदाता सूची की शुद्धता बनाए रखने के हित में हैं, जो स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के लिए एक पूर्वापेक्षा है और संविधान की एक मूलभूत विशेषता है।”
आयोग ने कहा कि इस तरह के संशोधन करने की उसकी शक्तियां संविधान के अनुच्छेद 324 और 326 तथा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियमों के विभिन्न प्रावधानों में दृढ़तापूर्वक निहित हैं।
अपने हलफनामों में निर्वाचन आयोग ने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत, संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और उनके संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण भारत निर्वाचन आयोग में निहित है।”
इसमें कहा गया है कि संवैधानिक प्रावधान मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने से संबंधित सभी मामलों में निर्वाचन आयोग के पूर्ण अधिकार का आधार है।
हलफनामों में कहा गया है कि वर्तमान एसआईआर 24 जून और 27 अक्टूबर 2025 को जारी आदेशों के तहत संचालित की जा रही है, जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 324 और धारा 21(3) के तहत आयोग को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग किया गया है।
दो अलग-अलग हलफनामों में, निर्वाचन आयोग ने तमिलनाडु में एसआईआर का बचाव किया।
आयोग ने दोहराया कि देशव्यापी एसआईआर 20 वर्षों से अधिक के अंतराल के बाद किया जा रहा है।
अखिल भारतीय एसआईआर की शुरुआत 24 जून के आदेश के माध्यम से बिहार से हुई थी। इसके अनुसार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों को शामिल करते हुए, चरण-2 की शुरुआत 27 अक्टूबर को एक अनुवर्ती आदेश के बाद हुई।
इसमें कहा गया है, “यह न्यायालय तमिलनाडु राज्य में बड़े पैमाने पर मताधिकार से वंचित किए जाने और एसआईआर के अनुचित कार्यान्वयन की आशंका के संबंध में वर्तमान रिट याचिका में याचिकाकर्ता के अत्यधिक अटकलबाजीपूर्ण और अतिरंजित तर्कों को स्वीकार करने में अनिच्छुक होगा।”
इसमें कहा गया है कि भारत निर्वाचन आयोग मतदाताओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग है और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं कि एसआईआर प्रक्रिया सफलतापूर्वक क्रियान्वित हो तथा कोई भी पात्र मतदाता मतदाता सूची में दर्ज होने से वंचित न रह जाए।
इन चिंताओं को खारिज करते हुए, निर्वाचन आयोग ने कहा कि दावे “अत्यधिक अटकल आधारित और अतिशयोक्तिपूर्ण” हैं।
इस बीच न्यायालय अभिनेता से नेता बने विजय के नेतृत्व वाले तमिलगा वेत्री कषगम (टीवीके) द्वारा दायर याचिका पर चार दिसंबर को सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जिसमें तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के आयोग के फैसले को चुनौती दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले को तमिलनाडु से संबंधित अन्य लंबित याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया, जब टीवीके की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दावा किया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्कूल शिक्षकों को बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के रूप में लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बहुत दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
भाषा प्रशांत संतोष
संतोष

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