एसआईआर संवैधानिक रूप से वैध़; विगत में भी कई बार कराया गया: मेघवाल
एसआईआर संवैधानिक रूप से वैध़; विगत में भी कई बार कराया गया: मेघवाल
नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) संवैधानिक रूप से वैध है और ऐसा पहले भी कई बार किया जा चुका है।
चुनाव सुधारों पर उच्च सदन में चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए मेघवाल ने कहा कि मतदाता सूची में संशोधन की पहल बी आर आंबेडकर द्वारा निर्मित संवैधानिक ढांचे पर आधारित है।
उन्होंने आरोप लगाया कि आंबेडकर के जीवित रहते और उनके सक्रिय सार्वजनिक जीवन में रहते हुए भी कांग्रेस ने उन्हें अपमानित करने का हरसंभव प्रयास किया। उन्होंने कहा कि 1952 के चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें हराने के लिए हरसंभव प्रयास किया और 1953-54 में भी ऐसा किया।
मेघवाल ने कहा कि एसआईआर आंबेडकर द्वारा प्रस्तावित एक व्यक्ति, एक वोट और एक मूल्य के सिद्धांत पर आधारित है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसे आगे बढ़ाना चाहिए, क्योंकि यह चुनाव सुधारों का प्रमुख स्तंभ है। हमारा संविधान और चुनावी प्रक्रिया इसी सिद्धांत पर आधारित है। इसलिए, जब एसआईआर के तहत अपात्र लोगों को मतदाता सूचियों से हटाने का काम किया जा रहा है, तो विपक्षी दल इसका विरोध क्यों कर रहे हैं?’’
मेघवाल ने कहा कि विगत में विभिन्न सरकारों के कार्यकाल में जब एसआईआर लागू किया गया था, तब विपक्षी दलों को कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन जब वर्तमान सरकार यह पहल कर रही है, तो इसका विरोध किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस पहल की शुरुआत बिहार से हुई और अब दूसरे चरण में छत्तीसगढ़, केरल और गोवा सहित 12 राज्यों में इसे लागू किया जाएगा।
कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने भी कहा है कि निर्वाचन आयोग के पास एसआईआर लागू करने का अधिकार है।
कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को 1983 में भारतीय नागरिकता मिली थी, लेकिन उनका नाम 1980 की मतदाता सूची में था।
मेघवाल ने निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति में पक्षपात का आरोप लगाते हुए पिछली कांग्रेस सरकारों पर हमला किया।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति संबंधी सुधार 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद किए गए।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने अपने राजनीतिक स्वार्थों को साधने के लिए संविधान में संशोधन किए, जबकि भाजपा सरकार ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के हित में बदलाव किए।
मेघवाल ने कहा, ‘‘मोदी सरकार के 11 वर्षों के दौरान हमने संविधान में 22 बार संशोधन किए, जबकि कांग्रेस के 55 वर्षों के शासनकाल में इसमें 77 बार बदलाव किए गए।’’
कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि पिछले कुछ साल में निर्वाचन आयोग का कद गिरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर की आड़ में होने वाली धांधली और वोटों की चोरी के दौरान आयोग मूकदर्शक बना रहा।
भाजपा सदस्य दिनेश शर्मा ने कहा कि ईवीएम की शुरुआत जैसे चुनावी सुधारों से मतदान केंद्रों पर कब्जा जैसी कई गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगा है। ‘एक देश एक चुनाव’ को अहम चुनावी सुधार बताते हुए उन्होंने कहा कि इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए।
भाषा अविनाश सुरेश
सुरेश

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