Social Boycott Act: दूसरी जाति में शादी पर करने पर नहीं कर पाएंगे समाज से अलग, सदन में कानून पेश, तीन साल सजा के साथ 1 लाख जुर्माना का प्रावधान

Social Boycott Act: दूसरी जाति में शादी पर करने पर नहीं कर पाएंगे समाज से अलग, सदन में कानून पेश, तीन साल सजा के साथ 1 लाख जुर्माना का प्रावधान

Social Boycott Act: दूसरी जाति में शादी पर करने पर नहीं कर पाएंगे समाज से अलग, सदन में कानून पेश, तीन साल सजा के साथ 1 लाख जुर्माना का प्रावधान

Social Boycott Act: दूसरी जाति में शादी पर करने पर नहीं कर पाएंगे समाज से अलग, सदन में कानून पेश / Image: File

Modified Date: December 11, 2025 / 04:48 pm IST
Published Date: December 11, 2025 4:40 pm IST
HIGHLIGHTS
  • सामाजिक बहिष्कार को अपराध घोषित
  • दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने
  • 20 अलग-अलग रूपों को परिभाषित किया गया

बेलगावी: Social Boycott Act कर्नाटक सरकार ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में एक विधेयक पेश किया, जो खासकर जाति पंचायतों द्वारा किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के परिवारों या समूह के सामाजिक बहिष्कार पर रोक लगाता है, और उसे अपराध घोषित करता है। इस विधेयक में प्रावधानों का उल्लंघन करने पर तीन साल तक की जेल की सजा तथा एक लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है।

Social Boycott Act समाज कल्याण मंत्री एच सी महादेवप्पा ने विधानसभा में ‘कर्नाटक सामाजिक बहिष्कार (रोकथाम, निषेध और निवारण) विधेयक, 2025′ पेश किया है, जिसमें सामाजिक बहिष्कार के 20 रूप बताए गए हैं। इन बहिष्कारों में किसी के साथ लेन-देन करने, उसके लिए काम करने या कारोबार करने से मना करना, मौके देने से मना करना, जिसमें सेवाओं तक पहुंच या सेवाएं के लिए अनुबंध के मौके शामिल हैं। इसके अलावा, किसी भी आधार पर सामाजिक, धार्मिक या सामुदायिक कार्यक्रमों, सभाओं, बैठकों या जुलूसों में भाग लेने से रोकना, सामाजिक बहिष्कार करना, सुविधाओं तक पहुंच को रोकना, संबंध तोड़ना, और अन्य कई बातें भी उसके अंतर्गत आती हैं।

विधेयक में कहा गया है कि यह देखा गया है कि राज्य में अलग-अलग समुदायों में अब भी जाति या समुदाय पंचायतों जैसी गैर-न्यायिक संस्थाओं द्वारा बहिष्कार, अलग-अलग सज़ा देना जैसे संवैधानिक तरीके चलन में हैं, जिसके कारण व्यक्तियों या समूहों को सम्मान के साथ जीवन जीने में बहुत परेशानी होती है। विधेयक में कहा गया है कि इसका समुदाय के सामाजिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है और समाज में गलत भावना और मनमुटाव पैदा होता है। इसमें कहा गया है, ‘‘इसलिए समाज से इन बुरी और गैर-संवैधानिक प्रथाओं को खत्म करना ज़रूरी है।’’

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सरकार ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में ‘बृहत बेंगलुरु शासन (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025’ भी पेश किया। उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार की ओर से मंत्री महादेवप्पा द्वारा पेश किया गया यह विधेयक वृहत बेंगलुरु शासन अधिनियम 2024 में संशोधन का प्रस्ताव करता है ताकि लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधानपरिषद के सदस्यों को ‘ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी’ के सदस्यों के रूप में शामिल किया जा सके।

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