समाज को केवल कानूनों से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जड़ों से ही कायम रखा जा सकता है : मोहन भागवत
समाज को केवल कानूनों से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जड़ों से ही कायम रखा जा सकता है : मोहन भागवत
बेंगलुरु, सात नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि समाज को केवल कानूनों से नहीं, बल्कि सहानुभूति, सांस्कृतिक जड़ों और अपनेपन की भावना से ही कायम रखा जा सकता है, जो सामाजिक सद्भाव को मजबूत करती है।
यहां ‘नेले फाउंडेशन’ (निराश्रित बच्चों के लिए एक देखभाल गृह) के रजत जयंती समारोह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने व्यक्तियों द्वारा समुदाय के भीतर संवेदनशीलता और भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘समाज केवल कानून से नहीं चलता – यह सहानुभूति से चलता है। इसमें अपनेपन की भावना होनी चाहिए, और इस अपनेपन की भावना को हृदय में गहराई से अनुभव किया जाना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने भीतर उस संवेदनशीलता को जागृत रखें।’’
भागवत ने कहा कि जहां दुनिया भर के देशों के पास धन, विज्ञान, ज्ञान और सैन्य शक्ति है, वहीं भारत की विरासत सार्वभौमिक एकता की अवधारणा पर केंद्रित है।
भाषा शफीक सुभाष
सुभाष

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