Bhagavad Gita in Schools: अब मदरसों के बच्चे भी करेंगे गीता पाठ? मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने सरकार के इस फैसले का किया स्वागत, इधर शिक्षकों ने जताया विरोध

अब मदरसों के बच्चे भी करेंगे गीता पाठ! मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने इस फैसले का किया स्वागत, Students of madrasas will also recite Gita in Uttarakhand

Bhagavad Gita in Schools: अब मदरसों के बच्चे भी करेंगे गीता पाठ? मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने सरकार के इस फैसले का किया स्वागत, इधर शिक्षकों ने जताया विरोध
Modified Date: July 18, 2025 / 12:17 am IST
Published Date: July 17, 2025 6:57 pm IST
HIGHLIGHTS
  • उत्तराखंड सरकार ने सरकारी स्कूलों में श्रीमद्भगवद गीता के श्लोक पढ़ाने का आदेश जारी किया।
  • मदरसा बोर्ड ने फैसले का समर्थन किया, कहा – यह भाईचारे को बढ़ावा देगा।
  • शिक्षक संगठनों ने किया विरोध, कहा – यह संविधान की धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।

देहरादूनः Bhagavad Gita in Schools: स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के साथ बच्चों को श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक सिखाए जाएंगे। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने यह फैसला लिया है। सरकार के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने आदेश भी जारी कर दिया है। इसे लेकर अब प्रदेश में सियासत का दौर भी शुरू हो गया है। वहीं, विपक्ष इस फैसले पर सवाल उठा रहा है। वहीं उत्तराखंड की राज्य सरकार के इस फैसले का मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने स्वागत किया है, जबकि शिक्षकों के एक वर्ग ने इस फैसले का विरोध जताया है और इसे ‘संविधान विरोधी आदेश’ करार दिया है। कुल मिलाकर यह कहे कि धामी सरकार के इस फैसले को लेकर प्रदेश दो राय की स्थिति बन रही है।

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Bhagavad Gita in Schools: अनुसूचित जाति-जनजाति शिक्षक संघ के अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा ने सरकार के इस फैसले को लेकर कहा कि ‘गीता एक धार्मिक ग्रंथ है और स्कूल में धर्म का प्रचार करना संविधान के अनुच्छेद 28(1) के विरुद्ध है।’ ‘हमने शिक्षा विभाग को इस आदेश को वापस लेने के लिए लिखा है। अन्यथा, हम सरकार को यह याद दिलाने के लिए अदालत जाएंगे कि यह संविधान का उल्लंघन है।’ टम्टा ने कहा, ‘सरकारी स्कूलों में विभिन्न धर्मों के छात्र पढ़ते हैं और उन्हें किसी खास धर्म की किताब पढ़ने के लिए मजबूर करना नासमझी है। हम पूरे राज्य में इस आदेश का विरोध करेंगे।’ इधर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) मुकुल कुमार सती ने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत छात्रों को पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली का आधार सीखना होगा। इसके अनुसार पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें तैयार करने के प्रयास चल रहे हैं। मुख्यमंत्री को 6 मई को पाठ्यक्रम की संरचना के बारे में बताया गया था और उन्होंने हमें श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण को शामिल करने का निर्देश दिया था।’ जिसके बाद इस तरह का आदेश जारी किया गया है।

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मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने सीएम धामी के फैसले का किया स्वागत

मदरसा बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने राज्य सरकार के इस फैसले की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड लगातार अग्रिम राज्य बनने की ओर बढ़ रहा है। खुशी की खबर है कि विद्यालयों में पाठ्यक्रम के अंदर श्रीमद्भागवत गीता पढ़ाई जाएगी। श्री राम के जीवन से लोगों को परिचित कराना , श्री कृष्ण को लोगों तक पहुंचना और हर भारतवासी का ये जानना बहुत जरूरी है।  एक मीडिया रिपोर्ट में शमून कासमी के हवाले से लिखा है कि उत्तराखंड के मदरसों में भगवत गीता का पाठ होगा। कुछ मदरसों का चुनाव किया जाएगा जहाँ संस्कृत भाषा की शिक्षा दी जाएगी और फिर धीरे-धीरे इसे सभी मदरसों में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण में उपदेश गीता में है। स्कूलों में इसके पाठ से सामाजिक समरसता कायम होगी इसलिए मदरसों में भी इसे लागू करेंगे।


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