उच्चतम न्यायालय ने ‘तलाक-ए-हसन’ के खिलाफ याचिकाओं को स्वीकार किया

उच्चतम न्यायालय ने ‘तलाक-ए-हसन’ के खिलाफ याचिकाओं को स्वीकार किया

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  • Publish Date - October 11, 2022 / 05:51 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:26 PM IST

नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने ‘तलाक-ए-हसन’ और अन्य सभी प्रकार के ‘एकतरफा न्यायेत्तर तलाक’ को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को मंगलवार को स्वीकार कर लिया।

‘तलाक-ए-हसन’ के तहत मुस्लिम समुदाय के पुरुष तीन महीने की अवधि में प्रति माह एक बार ‘तलाक’ बोल कर वैवाहिक संबंध तोड़ सकते हैं।

न्यायमूर्ति एस.के. कौल की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य को चार हफ्तों के अंदर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ भी शामिल है।

पीठ ने कहा, ‘‘निजी प्रतिवादी (पति) के वकील उसकी ओर से पेश हुए और यह बात दोहराई कि वह गुजारा भत्ता के मुद्दे पर समझौता करने के लिए सहमत नहीं है। अंतिम सुनवाई के लिए विषय को जनवरी के तीसरे हफ्ते में सूचीबद्ध किया जाए।’’

शीर्ष न्यायालय तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें एक याचिका गाजियाबाद निवासी बेनजीर हिना ने दायर की है। उन्होंने एकतरफा न्यायेत्तर तलाक-ए-हसन का पीड़िता होने का दावा किया है।

उन्होंने तलाक के लैंगिक एवं धार्मिक रूप से तटस्थ और सभी नागरिकों के लिए एक समान आधार के वास्ते दिशानिर्देश तैयार करने का केंद्र को निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।

इससे पूर्व, शीर्ष न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के पतियों से याचिकाओं पर जवाब मांगा था।

मंगलवार को, सुनवाई शुरू होने पर बेनजीर के पति की ओर से न्यायालय में पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल की अपनी पत्नी के साथ विवाद में कोई समझौता संभव नहीं है।

इसपर, पीठ ने पक्षों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा। साथ ही, कहा कि वह जनवरी 2023 के तीसरे सप्ताह में सुनवाई करेगा।

भाषा

सुभाष माधव

माधव