नागरिकों को वैक्सीनेशन के लिए नहीं किया जा सकता मजबूर, प्रतिकूल प्रभावों की रिपोर्ट भी सार्वजनिक करें केंद्रः सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court appeals to states to lift ban on those who do not get vaccine
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीनेशन को लेकर सोमवार को एक अहम टिप्पणी की है। केंद्र सरकार की वैक्सीनेशन नीति को उच्च न्यायलय ने सही ठहराया है। हालांकि कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया है कि देश के किसी भी नागरिक को कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। दरअसल, आज सुप्रीम कोर्ट में कोविड वैक्सीनेशन की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित करने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान कोर्ट ने ये अहम टिप्पणी की है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
सरकार की वैक्सीन नीति को नहीं कहा जा सकता मनमाना
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को लेकर नाराज़गी जताई कि कुछ राज्य सरकारें सार्वजनिक स्थानों पर वैक्सीन न लगाने वालों को एंट्री नहीं दे रही है। न्यायालय ने इसे अनुचित बताया। साथ ही राज्यों को ऐसे प्रतिबंध हटाने का सुझाव दिया। हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकार नीति बना सकती है और जनता की भलाई के लिए कुछ शर्तें रख सकती है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक मौजूदा वैक्सीन नीति को अनुचित और स्पष्ट रूप से मनमाना नहीं कहा जा सकता है।
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प्रतिकूल प्रभावों पर डेटा सार्वजनिक करे केंद्र सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को COVID-19 टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभावों पर डेटा सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया है। हालांकि कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीनेशन पॉलिसी को तर्क संगत बताया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को वैक्सीन लगवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की कोविड टीकाकरण नीति को सही ठहराते हुए कहा है कि यह वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित है, लेकिन किसी को टीका लगवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सुझाव दिया है कि कोविड टीका न लगवाने वाले लोगों को सार्वजनिक सुविधाओं के इस्तेमाल से रोकने के आदेश राज्य सरकारों को हटा लेने चाहिए।
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